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मरीज की ये 7 गलतियां कोरोना के हल्‍के संक्रमण को बना सकती है खतरनाक, लापरवाही पड़ेगी भारी

नई दिल्ली. कोरोना वायरस(corona virus) का नया ओमिक्रॉन वैरिएंट अगले कुछ दिनों में अपने पीक पर हो सकता है. एक्सपर्ट का दावा है कि नया वैरिएंट डेल्टा जितना खतरनाक नहीं है. नई लहर में सांस की तकलीफ जैसे गंभीर लक्षण भी सामने नहीं आए हैं. फिर भी डॉक्टर्स लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि मरीज की जरा सी लापरवाही (Negligence) या गलती से इसका हल्का इंफेक्शन (infection) भी घातक रूप ले सकता है. इसलिए कुछ बातों का बारीकी से ख्याल रखना बहुत जरूरी है.

1. अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुरनजीत चैटर्जी के मुताबिक, ओमिक्रॉन संक्रमितों में पहले तीन से पांच दिन गले में दर्द और बुखार (pain and fever) की शिकायत ज्यादा देखने को मिल रही है. लोगों को 102-103 डिग्री तक बुखार हो रहा है. साथ ही बॉडी पेन और सिरदर्द की शिकायत भी हो रही है. हालांकि मरीज तीसरे दिन तक बिना एंटीबायोटिक दवाओं के ठीक भी हो रहे हैं. इसलिए घर पर मौजूद मरीजों को एंटीबायोटिक दवाएं लेने की जरूरत नहीं हैं.

2. बीमारी (Disease) को लेकर जागरूक ना रहना आपकी बड़ी भूल हो सकती है, जिसकी कीमत आपकी सेहत को चुकानी पड़ती है. कोरोना (corona) के सामान्य और गंभीर लक्षणों पर बारीकी से नजर रखें. हल्के लक्षणों को भी गंभीरता से लें और वायरल या एलर्जी रिएक्शन की तरह इसका इलाज ना करें. दूसरे इंफेक्शन से मिलते-जुलते लक्षण दिखने पर भी कोविड की जांच कराएं. समय पर संक्रमण का पता लगने से यह दूसरों तक नहीं फैलेगा.

3. डेल्टा वैरिएंट के समय गंभीर लक्षण और इंफ्लेमेशन (Symptoms and Inflammation) से बचाने के लिए मरीजों को स्टेरॉयड दिए जा रहे थे. हालांकि, ओमिक्रॉन के मामलों में अभी तक ऐसी स्थिति नहीं देखी गई है. एक्सपर्ट कहते हैं कि हल्के लक्षण वाले रोगियों में स्टेरॉयड का इस्तेमाल बड़ी दिक्कत पैदा कर सकता है. इसलिए कोरोना संक्रमित मरीज रिकवरी के लिए खुद को घर में आइसोलेट रखें और डॉक्टर्स की सलाह पर ही दवाओं का इस्तेमाल करें. एक्सपर्ट को लगता है कि स्टेरॉयड का बेवजह और निरंतर उपयोग म्यूकोमाइकोसिस या ब्लैक फंगस जैसी दिक्कतों से भी जुड़ा हो सकता है, जैसा कि पिछली बार कई मामलों में देखा गया था.

4. एक बड़ी गलती ये भी है कि कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद लोग इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क नहीं करते हैं. कोविड-19 के मरीजों को अटेंड करने वाला एक अच्छा जानकार डॉक्टर ही आपको सही दवा और लक्षणों की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकता है. स्पेशलिस्ट डॉक्टर की सलाह लेकर आप जल्दी रिकवर हो सकते हैं, इसलिए लक्षण दिखने के पहले दिन से लेकर इलाज के अंतिम दिन तक डॉक्टर की सलाह पर काम करना जारी रखें.


5. इंफेक्शन का कन्फ्यूजिंग नेचर और लक्षणों के धोखे में ज्यादातर लोग देर से टेस्ट कराते हैं. देरी से टेस्टिंग या बीमारी का पता ना लगने की वजह से भी एक हेल्दी इंसान गंभीर लक्षणों का शिकार हो सकता है. इसलिए शरीर में दिख रहे लक्षणों पर ध्यान दें और तुरंत जांच कराएं. अगर आप जांच नहीं करवा रहे हैं तो आइसोलेशन में रहें.

6. ओमिक्रॉन के मरीज सामान्यत: तीन से पांच दिन के भीतर रिकवर हो रहे हैं. इस दौरान मरीजों को दो से तीन दिन के लिए बुखार होता है. यदि आपको इससे ज्यादा समय के लिए बुखार है या पांच से ज्यादा दिन लक्षण रहते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. हाई बीपी या डायबिटीज के मरीजों पर कोरोना ज्यादा हावी रहता है. इसलिए ऐसे मरीजों को ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दी जाती है.

7. अक्सर लोग कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद ही खुद को आइसोलेट करते हैं. हेल्थ सिस्टम पर दबाव के चलते आपकी रिपोर्ट देरी से आ सकती है, इसलिए रिपोर्ट का इंतजार करने की बजाए लक्षण दिखने के पहले दिन से ही खुद को आइसोलेट करें. इससे इंफेक्शन बाकी लोगों तक नहीं फैलेगा.

8. कोविड-19 के ज्यादातर मामले हल्के लक्षणों से शुरू होते हैं. लेकिन म्यूटेंट स्ट्रेन में वृद्धि और जटिलताओं के बढ़ने से इंफेक्शन गंभीर रूप ले सकता है. इसमें मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है. कोविड साइकोटाइन और हैप्पी हाइपोक्सिया जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है, जो कम समय में हालात बिगाड़ सकते हैं. डॉक्टर्स कहते हैं कि मरीजों को पहले दिन से ही इसे कंट्रोल करने का प्रयास करना चाहिए. कोविड-19 के गंभीर लक्षणों को बिल्कुल इग्नोर ना करें और रिकवरी के दौरान वो गलतियां करने से बचें जो हल्के लक्षणों को गंभीर रूप दे सकती हैं.

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