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ये है वो लोग, जिनके जीते-जी उनके नाम पर क्रिकेट स्टेडियम खड़े हो गए

मुंबई। गुजरात के अहमदाबाद को दर्शक संख्या के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम मिल गया है. नाम- नरेंद्र मोदी स्टेडियम. देश के प्रधानमंत्री के नाम पर स्टेडियम का नाम. लेकिन ये पहला मौका नहीं है, जब किसी व्यक्ति के जीते-जी उनके नाम पर क्रिकेट स्टेडियम बनकर तैयार हो गया. अंग्रेज़ों के ज़माने से लेकर 21वीं सदी तक ऐसा होता आया है. जानिए ऐसे क्रिकेट स्टेडियम्स के बारे में, जिनका नामकरण जीवित व्यक्तियों के नाम पर हुआ.


1. नरेंद्र मोदी स्टेडियम (Narendra Modi Stadium) : सबसे पहले बात सबसे नए स्टेडियम की. अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे मोटेरा नाम की जगह पर क्रिकेट स्टेडियम था. इसका शुरुआती नाम गुजरात क्रिकेट स्टेडियम था. 1982 के बाद सरदार पटेल स्टेडियम नाम मिला. फिर गिराकर दोबारा बना, और अब ये नरेंद्र मोदी स्टेडियम है. करीब 1 लाख 10 हज़ार दर्शक यहां बैठकर मैच देख सकते हैं. नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम से लेकर देश के पीएम रहने तक स्टेडियम के रिनोवेशन में मदद की, इसलिए उनके नाम पर स्टेडियम का नाम रखा गया है.


2. ईडन गार्डन (Eden Garden) : 1864 के करीब कोलकाता के एक जमींदार थे. बाबू राजचंद्र दास. उनकी एक बिटिया को बड़ी घातक बीमारी हो गई. विदेश से इलाज में मदद चाहिए थी. बाबू दास ने अपना एक बगीचा उस वक्त के वायसराय लॉर्ड ऑकलैंड ईडन को दिया. बदले में वायसराय ने उनकी बिटिया का इलाज कराया. बाद में, वायसराय ने इस बगीचे की जगह खेल का मैदान बनवा दिया. उन्हीं के नाम पर स्टेडियम को नाम मिला– ईडन गार्डन.


3. एम.ए. चिदंबरम स्टेडियम (Chidambaram Stadium) : एम.ए. चिदंबरम देश के मशहूर इंडस्ट्रियलिस्ट और क्रिकेट प्रशासक थे. 1956 में वे BCCI के उपाध्यक्ष बने. इसके बाद 1960-61 और 1962-63 में दो बार अध्यक्ष भी रहे. बाद में करीब 32 साल तक तमिलनाडु क्रिकेट असोसिएशन के अध्यक्ष रहे. 1934 में बनकर तैयार हो चुके मद्रास क्रिकेट ग्राउंड को जब 1980 में रिनोवेट किया गया, तो नाम दिया गया- एमए चिदंबरम स्टेडियम. सन 2000 में चिदंबरम की मृत्यु हुई. ये स्टेडियम ‘चेपॉक’ नाम से भी मशहूर है.


4. ग्रीन पार्क (Green Park) : 1940 के अल्ले-पल्ले की बात है. उस वक्त देश के प्रमुख औद्योगिक शहरों में से एक कानपुर में गंगा नदी के पास एक लश ग्रीन ग्राउंड था. यहां पर एक बड़े अंग्रेज अधिकारी की पत्नी मैडम ग्रीन हॉर्स राइडिंग किया करती थीं. बाद में इसे क्रिकेट ग्राउंड का रूप दिया गया. मैडम ग्रीन के नाम पर ही नामकरण भी कर दिया गया- ग्रीन पार्क. एक ट्रिविया भी जान लीजिए- अब बदतर हाल में पहुंच चुके ग्रीन पार्क में देश का सबसे बड़ा मैनुअली ऑपरेट होने वाला स्कोरबोर्ड है.

5. एम. चिन्नास्वामी (Chinnaswamy) : एम. चिन्नास्वामी का नाम देश के बड़े क्रिकेट प्रशासकों में गिना जाता है. 1960 से 1965 तक वह BCCI के सचिव रहे. 1977 से 1980 तक BCCI अध्यक्ष रहे. 1965 और 1973 में ICC में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. कर्नाटक स्टेट क्रिकेट असोसिएशन (KSCA) के फाउंडर्स में से थे. बाद में इन्हीं की अगुवाई में बैंगलोर में KSCA स्टेडियम बना. उसका नाम एम. चिन्नास्वामी के जीवित रहते हुए ही बदलकर एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम कर दिया गया.


6. ब्रेबॉर्न स्टेडियम (Brabourne Stadium) : एंथनी डी. मेलो 1928 से लेकर 1937 तक BCCI के सचिव थे. वह बॉम्बे में एक स्पोर्ट्स स्टेडियम बनवाना चाहते थे. ज़मीन चाहिए थी. 1935 में बॉम्बे के गवर्नर लॉर्ड ब्रेबॉर्न से मिले. ज़मीन के दाम पर दोनों एकराय नहीं हो पा रहे थे. डी. मेलो ने कहा- “योर एक्सिलेंसी, आप अपनी सरकार के लिए ज़्यादा पैसा चाहते हैं या अपने नाम को अमर करना चाहते हैं?” ये बात सुनते ही लॉर्ड ब्रेबॉर्न ने एक रीज़नेबल दाम में स्टेडियम के लिए ज़मीन दे दी. स्टेडियम बना. नाम मिला- ब्रेबॉर्न स्टेडियम, जो आज भी मुंबई के अच्छे स्टेडियम में से है.


7. वानखेड़े स्टेडियम (Wankhede Stadium) : एस.के. वानखेड़े 1970 से 1983 के बीच दो बार BCCI के उपाध्यक्ष रहे. दो बार अध्यक्ष भी रहे. 1963 से लेकर करीब 25 साल तक बॉम्बे क्रिकेट असोसिएशन के अध्यक्ष बने रहे. बॉम्बे में पहले से एक स्टेडियम था- ब्रेबॉर्न, जिसका अधिकार क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया (CCI) के पास था. CCI और BCA यानी बॉम्बे क्रिकेट असोसिएशन के बीच मैच कराने के अधिकार और टिकट वगैरह को लेकर झगड़ा हो गया. BCA ने तय किया वो अपना स्टेडियम बनाएंगे. स्टेडियम बना, 1974 में नाम मिला- वानखेड़े स्टेडियम. एसके वानखेड़े का 1988 में निधन हुआ.

इसके अलावा भी तमाम ऐसे स्टेडियम हैं, जिनके नाम अलग-अलग लोगों के नाम पर पड़े, लेकिन वो नामकरण मरणोपरांत हुए. जैसे कि जवाहर लाल नेहर स्टेडियम, राजीव गांधी स्टेडियम.

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