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ये तीन कारण जिम्मेदार है कैंसर से होने वाली मौत के लिए, भारत की बड़ी आबादी में यह समस्याएं

नई दिल्ली। कैंसर वैश्विक स्तर (cancer global) पर मृत्य के प्रमुख कारणों में से एक है, हर साल लाखों लोगों की मौत अलग-अलग प्रकार के कैंसर के कारण हो जाती है। हालिया अध्ययन (recent study) में शोधकर्ताओं ने कैंसर से होने वाली मौत के संभावित कारणों के बारे में जानने की कोशिश की। शोधकर्ताओं ने इसके लिए जिन तीन कारणों को प्रमुख रूप (major form) से रेखांकित किया है, भारत की बड़ी आबादी (large population of india) में यह समस्याएं अधिक देखी जाती रही हैं।

विशेषज्ञों ने बताया कि धूम्रपान, शराब का सेवन और हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले लोगों में कैंसर से संबंधित मौत का खतरा अधिक होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर वैश्विक स्तर कैंसर के बढ़ती मृत्युदर को नियंत्रित करना है कि इन तीनों कारकों को लेकर लोगों को विशेष रूप से सचेत करने की आवश्यकता है।

2019 ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स (जीबीडी) अध्ययन के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे। इसमें कैंसर के तमाम प्रकारों और इसके मृत्यु से संबंधित जोखिम कारकों का अध्ययन किया गया। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि कैंसर से संबंधित मौत के आंकड़ों को बढ़ाने में दुनियाभर में धूम्रपान, शराब का सेवन और हाई बीएमआई को प्रमुख कारक के तौर पर देखा गया है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में दुनियाभर में कैंसर से होने वाली मौतों के करीब 44.4 प्रतिशत मामलों में रोगियों में इन तीनों की प्रमुख भूमिका देखी है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि सभी लोगों को इसको लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कहता है, एक डीएएलवाई, स्वस्थ जीवन के एक वर्ष कम होने के बराबर होती है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने डीएएलवाई यानि कि डिसेबिलिटी एडजेस्टेड लाइफ इयर के संदर्भ में जोखिम कारकों को समझने की कोशिश की। इस आधार पर किए गए अध्ययन के विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने कैंसर से संबंधित डीएएलवाई के लिए पुरुषों में तंबाकू के सेवन को प्रमुख जोखिम कारक के रूप में पाया गया है। यह साल 2019 में पुरुषों में सभी प्रकार के कैंसर डीएएलवाई का 33.9 प्रतिशत था। इसका मतलब है कि जो पुरुष किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं, उनके अधिक समय तक जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है।

अमेरिका स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के निदेशक क्रिस्टोफर मरे कहते हैं, यह शोध बताता है कि कैंसर का बोझ वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है जो साल दर साल तेजी से बढ़ती जा रही है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि इस तरह के जोखिम को गंभीरता से लेते हुए नीति निर्माताओं को इसके रोकथाम को लेकर प्रयास करने की आवश्यकता है। धूम्रपान कैंसर के लिए प्रमुख जोखिम कारक है, इसके अलावा शराब का सेवन और हाई बीएमआई भी गंभीर खतरे का कारण बन सकती है।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के विश्लेषण में पाया कि दुनियाभर में बढ़ते कैंसर के खतरे और इसके कारण होने वाली मौत के लिए तंबाकू और शराब का सेवन, असुरक्षित यौन संबंध और आहार संबंधी जोखिम तथा लोगों में बढ़ता मोटापा काफी खतरनाक है, इन सभी कारकों को नियंत्रित करना बहुत आवश्यक है। विशेषज्ञों ने बताया कि पुरुषों और महिलाओं दोनों में इन जोखिम कारकों की पहचान की गई है। जिन कैंसर पीड़ितों में इस तरह के जोखिम कारक होते हैं, उनकी अन्य रोगियों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहने की संभावना भी कम हो जाती है।

अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों ने बताया कि तंबाकू-शराब के सेवन और हाई बीएमआई के कारण कैंसर रोगी 15 लाख महिलाओं की तुलना में 28 लाख पुरुषों की मौत के लिए हुई। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इन तीनों को नियंत्रित कर लिया जाए तो न सिर्फ कैंसर के मामलों, बल्कि इसके कारण होने वाली मौत के आंकड़ों को भी भविष्य में कम किया जा सकता है।

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