ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

सलूजा कहां फिट होंगे भाजपा के गणित में
कभी कमलनाथ के मुंह-कान कहलाने वाले नरेन्द्रसिंह सलूजा आज भाजपा का झंडा थामे घूम रहे हैं। इंदौर के खालसा स्टेडियम में कमलनाथ के विरोध में नारेबाजी और उसके बाद पीसीसी की नाराजगी ने सलूजा को कटघरे में खड़ा कर दिया था। हालांकि उनके साथ कुछ और नेता भी निशाने पर थे, लेकिन सलूजा की मोहरा बने और बात बढें़ उसके पहले सलूजा ने भाजपा का दामन थाम लिया। मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें भाजपा का दुपट्टा ओढ़ा दिया है। कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही अब चर्चा चल पड़ी है कि सलूजा भाजपा के समीकरण में कहां फिट होंगे। कोई उन्हें दिवंगत उमेश शर्मा की भरपाई के रूप में देख रहा है तो कोई आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए विभीषण के रूप में। उधर सलूजा खुश है कि कांग्रेस उन्हें बेआबरू करती, उसके पहले ही वे पलटी मार गए। अब सलूजा का भाजपा में क्या स्थान होगा, ये देखना होगा। वैसे कल वे पहली बार वीडी शर्मा के साथ एयरपोर्ट पर नजर आए हैं।
भाजपा को सब माफ
कांगे्रसी मन मसोस रहे हैं कि हमने राहुल गांधी की यात्रा के जो पोस्टर बैनर लगाए उन्हें नगर निगम उतारती रही। यही नहीं कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला की शिव महापुराण के पोस्टर-बैनर को लेकर भी खूब हंगामा हुआ, लेकिन निगम ने अपनी कार्रवाई को ढीली नहीं किया। अब कांग्रेसी दो दिन से शहर में लगे टंट्या मामा के बलिदान दिवस के पोस्टर और बैनरों को देखकर माथा पीट रहे है ंकि भाजपा जो करती है वो सब माफ है और हमने कोई जिंदगी भर के लिए तो पोस्टर बैनर लगा नहीं दिए थे जो निगम ने हमारा इतना नुक़सान कर दिया।


रफत को राहत
रफत वारसी जिस तरह से अल्पसंख्यक मोर्चा चला रहे हैं, उससे उनके ही लोग खुश नहीं है, लेकिन वे संगठन की आंखों में चढ़े हुए हैं। रफत के कई निर्णयों को चैलेंज करने वाले अल्पसंख्यक नेता अब चुप बैठ गए हैं। वे भी मान चुके हैं कि रफत जब तक पॉवर में हैं, उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इससे रफत को राहत मिली है। बड़ी राहत तो यह है कि रफत की मध्यप्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष पद पर घोषणा होना बाकी है और रफत समर्थक खुश हैं कि इतने विरोध के बाद भी भाईजान को राज्यमंत्री का दर्जा तो मिल रहा है।
चार नंबर ही क्यों बना रहता है चर्चा में
चार नंबर विधानसभा इन दिनों कुछ न कुछ घटनाओं को लेकर चर्चा में रहने ही लगी है। कभी भाजपा की अयोध्या कही जाने वाली इस विधानसभा में धीरे-धीरे फूट पडऩे लगी है। पहले यह फूट सामने नहीं आती थी, लेकिन अब बताने वाले भी बड़े जोर-शोर से बताते हैं। एक तो क्लाथ मार्केट के आयोजन में विधायक परिवार को तवज्जो नहीं देना, सांसद शंकर लालवानी का हस्तक्षेप इस विधानसभा में बढऩा और इसी विधानसभा के एक खास झंडाबरदार का विधायक परिवार से दूर होना। बता रहे हैं कि बाहर से सबकुछ ठीक होने का दिखावा किया जा रहा है, लेकिन अंदर अलग ही अलग गुटबाजी चरम पर पहुंच रही है। पिछले दिनों इसी विधानसभा में एक पूर्व मंडल अध्यक्ष का पिटाई कांड भी सोशल मीडिया पर छाया रहा।


मंडी की अवैध वसूली पर हावी राजनीति
बार-बार चोइथराम मंडी पर अवैध वसूली के आरोप लगते रहे हैं। छोटे व्यापारियों और यहा ंसे सब्जी तथा फल खरीदने वालों से बिना रसीद के टैक्स की वसूली की जाती है। इसी को लेकर पिछले दिनों विवाद भी हुआ। सूत्रों का कहना है कि यहां की अवैध वसूली पर राजनीति भी हावी है। कुछ स्थानीय नेताओं के नाम पर किसान और व्यापारी मंडी टैक्स नहीं देते और जब बात बढ़ जाती है तो विवाद करने से भी पीछे नहीं हटते। इसमें कुछ बड़े नेताओं के नाम भी हैं, जिन्ेहें मंडी प्रशासन के अधिकारी भी कुछ नहीं कह पाते।
पकड़ नहीं पा रहे कहां हो रही गड़बड़ी
भाजपा संगठन ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण से ही सभी को भिड़ा रखा है, ताकि सूची की ठीक तरह से जांच हो सके। इसके लिए नगर, मंडल और वार्ड स्तर तक प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं आ रहे हैं। ऐसे में संगठन भी समझ नहीं पा रहाहै कि गड़बड़ कहां हो रही है। बूथ स्तर पर फर्जी बूथ प्रभारियों की सूची थी वो सुधार दी गई, लेकिन उसके बावजूद भी नामों में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। कुछ बूथ वाले तो सरकारी बीएलओ से शाम को आंकड़े लेकर संगठन को भेजने में लगे हुए हैं।


चावड़ा भी लगा रहे नारे…आंधी नहीं तूफान है
राजनीति में कब क्या होता है, यह कुछ कहा नहीं जा सकता। कभी भाईसाब के रूप में भाजपा नेताओं और जनप्रतिनिधियों को मार्गदर्शन देने का करने वाले संभागीय संगठन मंत्री अब भाजपा का ही हिस्सा है। पहले ये लोग आयोजनों से दूर रहते हैं, जबकि पर्दे के पीछे ही रहकर अपनी भूमिका निभाते थे, लेकिन अब सत्ता और संगठन का हिस्सा बनने के बाद इन्हें भी नेताओं के नारे लगाना पड़ते हैं। ताजा मामला संभागीय संगठन मंत्री जयपालसिंह चावड़ा का है। मुख्यमंत्री जब पिछले दिनों ब्रिज की आधारशिला रखने के लिए इंदौर आए तो निर्माण एजेंसी आईडीए के प्रमुख होने के नाते उन्होंने भाषण दिया और मुख्यमंत्री को उद्बोधन देने के लिए बुलाया तो मंच से ही उन्होंने तीन बार नारा लगवाया ‘आंधी नहीं तूफान है शिवराजसिंह चौहान है’

शहर में पांच नंबर विधानसभा सीट सभी को हलवा नजर आ रही है। तीन-तीन मुस्लिम वार्डों वाली इस सीट पर भाजपा के कई नेता तो निगाह गढ़ाए हुए ही हैं, वहीं कांग्रेस में भी दावेदारों की संख्या बढ़ रही है, जिन्होंने छोटे-मोटे आयोजनों में जाना शुरू भी कर दिया है।

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