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science के विकास में इस वैज्ञानिक है अद्भुत योगदान, फिर भी आविष्कार करने पर मिली थी सजा

नई दिल्ली। 10 नवंबर को विश्व विज्ञान दिवस (World Science Day) था। वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNESCO द्वारा इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई थी। जिसका उद्देश्य समाज में विज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डालना है। माना जाता है कि आधुनिक वैज्ञानिक सिद्धांतों (modern scientific principles) की शुरुआत 15 शताब्दी के मध्य में हुई थी। उसके बाद से लेकर आज तक के युग को विज्ञान का ही युग (age of science) कहा जाता है। आधुनिक विज्ञान की शुरुआत का श्रेय इटली के वैज्ञानिक Galileo को दिया जाता है, जिन्होंने Telescope का अविष्कार किया था और इसी की मदद से पहली बार ये साबित किया था कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है।

वैज्ञानिक की खोज पर नहीं हुआ था लोगों को विश्वास
इससे पहले दुनियाभर के चर्च ये मानते थे कि सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करता है। उस समय Galileo की खोज पर किसी ने विश्वास नहीं किया और उन्हें धर्म विरोधी मानते हुए नजरबंद कर दिया गया था और नजरबंदी में रहते हुए ही उनकी मृत्यु हो गई थी। हालांकि Galileo से भी करीब एक हजार साल पहले प्राचीन भारत के वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने ये साबित किया था कि पृथ्वी और सौरमंडल के अन्य ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। विज्ञान के साथ सबसे अच्छी बात यही है कि ये विचारों पर नहीं सिद्धांतों और तथ्यों पर आधारित होता है। इसलिए चाहे कोई खोज Galileo ने की हो या आर्यभट्ट ने, दौर बदल जाता है लेकिन तथ्य नहीं बदलते।


जब महामारी के कारण खत्म हो गई यूरोप की आधी आबादी
14वीं शताब्दी में यूरोप में एक महामारी फैली थी जिसका नाम था Black Death. इस महामारी की वजह से 20 करोड़ लोग मारे गए थे और यूरोप की लगभग आधी आबादी खत्म हो गई थी। इसके बाद 20वीं शताब्दी की शुरुआत में Spanish Flu आया था जिसमें दुनिया भर के 5 करोड़ लोग मारे गए थे। तब ऐसी बीमारियों की वैक्सीन तैयार करने में दशकों लग जाते थे लेकिन आज विज्ञान की बदौलत कोरोना वायरस की वैक्सीन 10 महीनों में ही तैयार कर ली गई।

विज्ञान से सुलझी मानव सभ्यता की ये पहेली
एक दिलचस्प बात ये है कि आधुनिक भौतिक विज्ञान का जनक महान वैज्ञानिक Isaac Newton को माना जाता है, जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण यानी Gravity की खोज की थी और इसके बाद ही बड़े-बड़े अविष्कार संभव हो पाए. लेकिन 17वीं शताब्दी में उन्होंने ये खोज तब की थी जब ब्रिटेन में Bubonic Plague फैला हुआ था और Newton उस समय Quarantine में थे. इसी दौरान उन्होंने मानव सभ्यता की सबसे बड़ी पहेलियों में से एक को सुलझाया था यानी ये पता लगाया था कि कोई चीज जब हवा में उछाली जाती है तो वो जमीन पर वापस क्यों गिरती है? इसे ही Gravity नाम दिया गया और इसी खोज के बाद ही इंसानों ने पता लगाया कि आखिर वो किस गति से उड़कर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर जा सकते हैं. इसी आधार पर अंतरिक्ष में जाने वाले Rockets विकसित किए गए और आज दुनिया भर के नागरिक इसी खोज के दम पर अंतरिक्ष में छुट्टियां मनाने जा पा रहे हैं।

इतना ही नहीं अब पूरी दुनिया में दवाओं और जरूरी चीजों की डिलीवरी Drones के जरिए की जा रही है. आने वाले जमाने में Pizza की डिलीवरी भी Drone के जरिए हो पाएगी। भारत तो दुनिया की Drone Capital बनने वाला है। इसके अलावा Robots की भी मदद ली जा रही है। दुनिया के कई देशों ने Robot Army और Robot Police Force का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

अब Virtual Reality का जमाना है। आने वाले दिनों में आपको खुद किसी धार्मिक यात्रा या किसी भी यात्रा पर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी ये काम आपका Avatar ही कर देगा, आपको अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से मिलने के लिए छुट्टी का इंतजार नहीं करना पड़ेगा बल्कि आपका Avatar ही उनके पास जाकर उनसे मुलाकात कर लेगा। वैज्ञानिक इंसानों को अमर बनाने पर भी काम कर रहे हैं। ऐसी दवाएं और Technology खोजी जा रही हैं जिसके दम पर इंसानों की उम्र को बढ़ने से रोका जा सके और आखिरकार उन्हें अमर बनाया जा सके इसलिए आज साइंस को सलाम करने का दिन है।

भारत के संविधान में भी लिखा है कि ये भारत के नागरिकों का मूलभूत कर्तव्य है कि वो वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करें इसलिए वैज्ञानिकों पर भरोसा कीजिए। अपने डॉक्टरों पर भरोसा कीजिए। अंधविश्वास को छोड़ दें. कोविड का ये दौर भारत के लोगों के लिए एक ऐसा मौका लाया है, जब वो साबित कर सकते हैं कि हम विज्ञान में भरोसा करने वाले लोग हैं, जबकि दुनिया के कई विकसित देशों में लोग इस समय वैक्सीन पर विश्वास नहीं कर रहे हैं और वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं. आज World Science Day पर आपको ऐसे दुष्प्रचार से बचने की जरूरत है।

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