न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र (UN) में अमेरिका (US) की कार्यवाहक स्थायी प्रतिनिधि डोरोथी शिया (Dorothy Shea) की एक जुबानी चूक ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति (international diplomacy) में खलबली मचा दी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान उन्होंने गलती से इज़राइल को “आतंक और तबाही फैलाने वाला देश” कह दिया, जबकि उनका इशारा ईरान की ओर था। हालांकि उन्होंने तुरंत अपनी गलती सुधार ली, लेकिन तब तक उनका बयान रिकॉर्ड हो चुका था और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
यह घटना उस समय हुई जब इज़राइल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। 13 जून के बाद से इज़राइल ने ईरान के कई परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है, वहीं ईरान ने भी मिसाइलों से पलटवार किया। अमेरिका पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह इन हमलों में शामिल नहीं है, लेकिन पूरी तरह इज़राइल के समर्थन में खड़ा है।
बयान को लेकर मचे विवाद के बाद डोरोथी शिया ने सफाई दी कि उनका इरादा ईरान की निंदा करना था, न कि इज़राइल की। उन्होंने दोहराया कि ईरान ही मध्य पूर्व में अस्थिरता और आतंक का सबसे बड़ा स्रोत है। साथ ही चेताया कि ईरान के पास अब ऐसे संसाधन हैं जिससे वह परमाणु हथियार बना सकता है, जो अमेरिका के लिए किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने सुरक्षा परिषद से आग्रह किया कि ईरान पर कड़ा दबाव डाला जाए ताकि वह अपनी परमाणु महत्वाकांक्षाएं छोड़ दे।
इस बीच, ईरान ने भी अपना विरोध जताते हुए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासचिव और सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष से शिकायत दर्ज कराई है। ईरानी प्रतिनिधि अमीर-सईद इरावानी ने ग्रॉसी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने इज़राइल के हमलों की निंदा नहीं की।
यह जुबानी फिसलन एक और संकेत है कि पश्चिम एशिया के हालात कितने नाजुक हैं और किसी भी स्तर पर की गई कूटनीतिक चूक बड़े विवाद का कारण बन सकती है।
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