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आज है श्रावण मास की विनायक चतुर्थी

आज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इसे विनायक चतुर्थी या वरद चतुर्थी कहा जाता है। श्रावण मास की विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। श्रावण मास भगवान शिव का सबसे प्रिय मास होता है और भगवान गणेश उनके छोटे पुत्र हैं। ऐसे में आज के दिन विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा करने से शिव और शक्ति दोनों का ही आशीर्वाद प्राप्त होता है। आज के दिन आपको शुभ मुहूर्त में गणेश जी, भगवान शिव और माता पार्वती तीनों की ही पूजा करनी चाहिए।

शुभ मुहूर्त

सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी ति​​थि का प्रारंभ 23 जुलाई दिन गुरुवार को शाम 05 बजकर 03 मिनट से हो गया था, जो आज दोपहर में 02 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। विनायक चतुर्थी की पूजा दोपहर के समय की जाती है, इसलिए विनायक चतुर्थी आज है। आज आपको पूजा के लिए दो घंटे 44 मिनट का समय मिलेगा। आपको दिन में 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर में 01 बजकर 49 मिनट के बीच गणपति की पूजा कर लेनी चाहिए। आज का राहुकाल सुबह 10 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12:00 बजे तक है।

चंद्रोदय और चंद्रास्त

विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रोदय सुबह 09 बजकर 09 मिनट पर होगा और चंद्र का अस्त आज रात 10 बजकर 13 मिनट पर होगा।

आज का शुभ समय

रवि योग: प्रात:काल 05 बजकर 38 मिनट से दोप​हर 04 बजकर 03 मिनट तक।

अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से दिन में 12 बजकर 55 मिनट तक।

अमृत काल: दिन में 10 बजकर 06 मिनट से 11 बजकर 35 मिनट तक।

विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व

गणेश जी विघ्नहर्ता हैं। यदि किसी भी व्यक्ति पर कोई संकट हो तो उसे भगवान गणपति का स्मरण करना चाहिए और विनायक चतुर्थी का व्रत करना चाहिए। विघ्नहर्ता गणेश जी आपका कल्याण करेंगे।

गणेश महामंत्र

प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम्।

तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय।।

प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम्।

अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य।।

विनायक चतुर्थी पूजा विधि

आज के दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। फिर हाथ में जल लेकर विनायक चतुर्थी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें। अब गणेश जी और माता लक्ष्मी के अलावा भगवान शिव तथा पार्वती जी को एक चौकी पर स्थापित कर दें। इसके बाद गणेश जी को चंदन, अक्षत्, लाल पुष्प, दुर्वा, फल, लड्डू, पान का पत्ता, सुपारी आदि अर्पित करें। अब लक्षमी जी की पूजा करें।

इसके पश्चात माता पार्वती और शिव जी की विधिपूर्वक पूजा करें। फिर विनायक चतुर्थी व्रत का पाठ करें। अंत में गणेश जी की आरती करें तथा प्रसाद परिजनों में बांट दें। शाम के समय चंद्रमा को जल अर्पित करें।

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