
डेस्क: अमेरिका (America) और इज़राइल (Israel) के हालिया हमलों में ईरान (Iran) के तीन बड़े परमाणु ठिकानों (Nuclear Bases) को निशाना बनाया गया. जवाब में तेहरान (Tehran) ने अब अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) से तकनीकी और निरीक्षण संबंधी सहयोग पूरी तरह निलंबित कर दिया है. यानी अब कोई यह नहीं देख पाएगा कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम में क्या कर रहा है और कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है.
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम ऊर्जा उत्पादन जैसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन हकीकत यह है कि उसके पास पहले से ही इतना संवर्धित यूरेनियम मौजूद है जो हथियार-स्तर से बेहद करीब है. न्यूजवीक की एक खबर के मुताबिक ईरान अब बम से सिर्फ एक कदम दूर खड़ा है और निगरानी हटने के बाद दुनिया को अब यह भी पता नहीं चलेगा कि वह ये कदम कब उठाएगा.
तेहरान का कहना है कि अमेरिकी और इज़राइली हमलों के बाद अब IAEA के निरीक्षकों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती. इसलिए फिलहाल निगरानी को फिर से शुरू करना अवास्तविक है. ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने संसद में पास एक बिल पर दस्तखत किए हैं.
जिसके तहत IAEA से सहयोग अब देश की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की निगरानी में होगा. अमेरिका ने ईरान के इस कदम को “गैरजिम्मेदाराना” बताया है और कहा है कि तेहरान ने शांति की ओर लौटने का मौका गंवा दिया. अमेरिका ने यह भी दोहराया है कि वह ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु हथियार बनाने की इजाजत नहीं देगा.
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