इंदौर न्यूज़ (Indore News)

जयहिंद गृह निर्माण संस्था के 225 में से 150 सदस्य स्वर्ग सिधार गए, बचे लोगों में फिर जागी आस

कई संस्थाओं के सदस्यों के ठगोरे भूमाफिया घंटे परिवार का कारनामा
इंदौर। कलेक्टर मनीषसिंह (Collector Manish Singh) ने दीपक मद्दा (Deepak Madda) सहित कई भूमाफियाओं पर हाथ क्या डाला अपने घर का सपना देखते-देखते बूढ़े हो चुके लोगों की आंखों की भी रोशनियों में चमक आ गई। हालांकि यह चमक बरकरार रहेगी या नहीं यह तो वक्त बताएगा, लेकिन अपना दु:खड़ा रोते इन्हीं संस्थाओं से लुटे-पिटे लोग प्रशासन के पास पहुंचने लगे हैं। इन्हीं संस्थाओं में से एक जयहिंद गृह निर्माण संस्था (Jaihind House Building) की आम्रपाली कालोनी के सदस्यों ने बताया कि उनकी संस्था के मूल सदस्य 225 थे, जिनमें से 150 सदस्य स्वर्ग सिधार गए। अब शेष बचे 75 सदस्यों में से भी 32 को संस्था अध्यक्ष ने अपात्र घोषित कर डाला और 43 सदस्यों को भी वरीयता सूची में शामिल नहीं करते हुए फर्जी सदस्यों की नई सदस्यता सूची बना डाली।


करीब 25 वर्ष पूर्व जयहिंद गृह निर्माण सहकारी संस्था द्वारा सदस्यों की जमा रकम से देवगुराडिय़ा (Devguradia) के समीप जमीन खरीदकर आम्रपाली कालोनी (Amrapali Colony) बनाई गई थी। लंबे समय तक कालोनी का विकास नहीं किया गया। इस दौरान जमीन के भाव बढ़ते रहे और संस्था के अध्यक्ष श्रीपाद घंटे द्वारा सदस्यों से नई-नई रकम की मांग की जाती रही। संस्था सदस्यों द्वारा लगातार पैसे जमा करने के बाद भी उन्हें भूखंड नहीं दिए गए। इस संस्था में 225 मेंबर थे, लेकिन अपने घर का सपना देखते-देखते कई सदस्य स्वर्ग सिधार गए और अब केवल 75 सदस्य शेष बचे हैं। यह सदस्य भी लंबे समय से अपने प्लॉट के लिए लड़ाई लड़ते हुए कई शिकायतें सहकारिता विभाग में दर्ज करा चुके हैं, लेकिन उन्हें उनके भूखंड का कब्जा मिलना तो दूर अपनी सदस्यता के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। बचे 75 सदस्यों में से भी केवल 43 को संस्था अध्यक्ष द्वारा पात्र माना गया, लेकिन उन्हें भी भूखंड के लिए वरीयता सूची में शामिल नहीं किया गया।


सदस्य बाहर खड़े रहे और सहकारी अधिकारियों ने आमसभा कर डाली
संस्थाओं की जमीन खरीद-फरोख्त में सहकारिता विभाग के अधिकारियों की घुसपैठ किस कदर है यह इस बात से ही पता चलता है कि संस्था की आहूत आमसभा के दौरान सदस्य बाहर खड़े रहे और अंदर घंटे के साथ बैठे अफसरों ने आमसभा कर डाली, जिसमें जमीन बेचने से लेकर सदस्यता समाप्त करने और नए सदस्य बनाने तक के निर्णय ले लिए गए।


संस्था पर भूमाफिया घंटे परिवार का कब्जा… नौकर तक को अध्यक्ष बना डाला
सदस्यों के पैसे से जमीन खरीदकर संस्था अध्यक्ष बने श्रीपाद घंटे की मौत के बाद उसके बेटे श्रीकांत घंटे ने संस्था पर कब्जा कर लिया। श्रीकांत घंटे के बाद उसका लडक़ा हिमांशु संस्था अध्यक्ष बन बैठा और हिमांशु के बाद सोनाली घंटे अध्यक्ष बन गई। जब सहकारिता विभाग के खिलाफ मुहिम शुरू हुई तो डरे-सहमे घंटे परिवार ने शमसुद्दीन चिश्ती को अध्यक्ष बना डाला और उसके बाद संस्था में ही फोटोकॉपी कराने वाले नौकर मिलन गिरि को अध्यक्ष बना दिया गया। सहकारिता विभाग भी माफियाओं के इस परिवारवाद पर मुहर लगाता गया।

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