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भारत में दो सालों में 2300 लोगों ने नशे के चलते गवांई अपनी जान, युवा हैं सबसे अधिक प्रभावित


नई दिल्ली । देश (India) में नशे की लत जानलेवा बनती जा रही है। युवा (youth) इसके ज्यादा शिकार हो रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के अनुसार 2017-19 के बीच बहुत ज्यादा नशा करने से 2,300 से अधिक लोगों की मौत हुई। इनमें 30 से 45 आयु वर्ग के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। एनसीआरबी के अनुसार 2017 में बहुत ज्यादा नशा करने की वजह से 745 लोगों की मौत हुई। इसके बाद 2018 में 875 और 2019 में 704 लोगों की मौत हुई। आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा 338 लोगों की मौत राजस्थान में हुई। इसके बाद कर्नाटक में 239 और उत्तर प्रदेश में 236 लोगों की मौत हुई।

2017-19 के बीच यानी तीन सालों में ज्यादा नशे की वजह से मरने वाले लोगों में 30-45 आयु वर्ग के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा 784 थी। वहीं 14 साल से कम उम्र के 55 बच्चों की मौत हुई और 14-18 साल के आयु वर्ग वाले 70 किशोरों की मौत हुई। आंकड़ों के अनुसार इस वजह से 18-30 साल आयु वर्ग के 624 और 45-60 वर्ष आयु वर्ग के 550 लोगों की मौत हुई। वहीं 60 साल या उससे अधिक आयु वर्ग के 241 लोगों की मौत हुई।


 

नशीले पदार्थों के सेवन की समस्या से निपटने के लिए सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय ने हाल में ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ (एनएमबीए) की शुरूआत 272 बेहद प्रभावित जिलों में शुरू की है। इस कार्यक्रम में नारकोटिक्स ब्यूरो, नशीले पदार्थ के आदी लोगों तक पहुंच और सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जागरूकता फैलाने और स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनके इलाज को शामिल किया गया।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनएमबीए को आगे और भी मजबूत किया जाएगा। यह नेशनल एक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड रिडक्शन (एनएपीडीडीआर) के तहत काम करना जारी रखेगा। इसमें 272 जिलों में 13,000 युवा स्वयंसेवियों को नशीले पदार्थ के उपभोग से संबंधित दिक्कतों के प्रति समुदाय के साथ काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। एनएपीडीडीआर से करीब 11.80 लाख लोग वित्त वर्ष 2021-22 में लाभान्वित होंगे।

विशेषज्ञों ने कहा कि नशीले पदार्थों के उपभोग के मुद्दों से निपटने के लिए सरकार को दीर्घकालीन इलाज और नशा मुक्ति के बाद पुनर्वास पर काम करना चाहिए। इंटरनेशनल ट्रीटमेंट प्रीपेयर्डनेस कॉलिशन में दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय समन्वयक लून गंगाटे ने कहा कि पुनर्वास के बाद रोजगार के अवसर अवश्य तौर पर उपलब्ध कराने चाहिए। यह सुनिश्चत करना बेहद जरूरी है कि पुनर्वास के बाद क्या होगा। गंगाटे के अनुसार पुनर्वास आसान रास्ता है और यह देखा जाता है कि इसके बाद 80-90 फीसदी लोग फिर से नशे के शिकार हो जाते हैं। इसलिए पुनर्वास के बाद की योजना तैयार करना बेहद जरूरी है।

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