
FILE PHOTO: A worker walks past the logo of Reserve Bank of India (RBI) inside its office in New Delhi, India July 8, 2019. REUTERS/Anushree Fadnavis/File Photo
नयी दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank) दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को लगातार तीसरी बार यथावत रख सकता है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। विशेषज्ञों ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़ने की वजह से मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) संभवत: एक बार फिर ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगी। खुदरा मुद्रास्फीति इस समय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।
हालांकि, सितंबर में समाप्त चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर नकारात्मक रही है, जिसकी वजह से केंद्रीय बैंक अपने मौद्रिक रुख को नरम रख सकता है। इससे आगे जरूरत होने पर ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की दो दिन की बैठक दो दिसंबर से शुरू होगी। बैठक के नतीजों की घोषणा चार दिसंबर को की जाएगी।
गौरतलब है कि एमपीसी की अक्टूबर में हुई पिछली बैठक में नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया गया था। इसकी वजह मुद्रस्फीति में बढ़ोतरी है जो हाल के समय में छह प्रतिशत के स्तर को पार कर गई है। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी। इस साल फरवरी से केंद्रीय बैंक रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
कोटक महिंद्रा बैंक समूह की अध्यक्ष-उपभोक्ता बैंकिंग शांति एकम्बरम ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति लगातार रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य चार प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। ऐसे में आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश सीमित है। हालांकि त्योहारी सीजन की वजह से उपभोक्ता मांग में उत्साहर्धक सुधार देखने को मिला है।’’
वहीं, क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि रिजर्व बैंक नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत रखेगा। इसी तरह की राय जताते हुए केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति अब भी काफी ऊपर है। ऐसे में रिजर्व बैंक के पास नीतिगत दरों को यथावत रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसके अलावा भी चालू वित्त वर्ष के लिए ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश काफी हद तक समाप्त हो चुकी है।’’
उधर, इसे लेकर ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंदा राव ने कहा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अब काफी अधिक है। ऐसे में एमपीसी द्वारा ब्याज दरों में बदलाव की संभावना नही है। इसी के साथ मनीबॉक्स फाइनेंस के सह-मुख्य कार्यपालक अधिकारी दीपक अग्रवाल का मानना है कि खाद्य मुद्रास्फीति काफी ऊंची है। मुख्य मुद्रास्फीति भी अधिक है। ऐसे में रिजर्व बैंक नीतिगत दरों को यथावत रखेगा।
इसके साथ ही रीयल एस्टेट सलाहकार एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने का कि रीयल एस्टेट की वृद्धि निचली ब्याज दरों पर टिकी है। ऐसे में हम चाहते हैं कि रेपो दर में कटौती हो।
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