फॉरेंसिक रिपोर्ट से खुलासा, पहले ड्रोन ने गिराया था ज्यादा बड़ा विस्फोटक
नई दिल्ली। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन को भारी नुकसान पहुंचाने की पाकिस्तानी साजिश का खुलासा फॉरेंसिक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है। हमले में चीन निर्मित जीपीएस गाइडेड ड्रोन का इस्तेमाल करके डेढ़-डेढ़ किलो के विस्फोटक गिराए गए थे। जम्मू एयर फ़ोर्स स्टेशन को भारी नुकसान पहुंचाने के इरादे से पहले ड्रोन ने ज्यादा बड़ा विस्फोटक गिराया गया था। इसके बाद दूसरे ड्रोन ने छोटे आकार का विस्फोटक गिराया जिसमें कीलों का इस्तेमाल किया गया था। जीपीएस गाइडेड ड्रोन की खासियत होती है कि वह मिशन को अंजाम देने के बाद चुपचाप अपने ऑपरेटर के पास पहुंच जाता है।
जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर 26/27 जून की रात को हुए ‘ड्रोन अटैक’ की पाकिस्तानी साजिश की पर्तें फॉरेंसिक रिपोर्ट से खुली हैं। मौके पर मिले सबूतों और विस्फोटक को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था। हालांकि पाकिस्तान ने चोरी छिपे जम्मू में हमले की साजिश रची थी लेकिन उसकी ये हरकत जांच एजेंसियों से बच नहीं पाई। जांच एजेंसियों ने जब इस हमले की पर्तें खोलीं तो पाकिस्तान का नापाक चेहरा बेनकाब हो गया। ऐसा पहली बार हुआ था कि सरहद पार से आए ड्रोन ने भारत की सीमा में कोई धमाका किया हो। पाकिस्तान के इस नाकाम हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गईं। एनआईए, एनएसजी और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने तेजी से जांच की और अब इस मामले की फॉरेंसिक रिपोर्ट से पाकिस्तान की सच्चाई सामने आ गई।
दरअसल सीज फायर समझौता होने के बाद से सीमा पर फायरिंग न होने से आतंकियों की घुसपैठ कराने में नाकाम पाकिस्तान अब आसमानी साजिश रचने में जुटा है। जम्मू का यह एयरफोर्स स्टेशन किसी भी लड़ाकू विमान का एयरबेस नहीं है लेकिन यहां एमआई-17, परिवहन हेलीकॉप्टर और छोटे एयरक्राफ्ट रखे गए हैं। पहले ड्रोन से गिराए गए विस्फोटक से एयरफोर्स स्टेशन बिल्डिंग में बम धमाके से छत पर बड़ा छेद हो गया। दूसरे विस्फोटक में छर्रों और बॉल बेयरिंग्स का इस्तेमाल अधिक से अधिक जानमाल का नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया था। जम्मू एयरफोर्स स्टेशन से अंतरराष्ट्रीय सीमा की दूरी महज 14 किलोमीटर है। एयरफोर्स स्टेशन से बेलीचराना बॉर्डर सबसे नजदीक है। यह ड्रोन कहीं भी इधर-उधर जाने के बजाय सीधे जम्मू एयरपोर्ट रनवे की ओर से आया और सीधा टेक्निकल एयरपोर्ट पर विस्फोटक गिराने के बाद आसमान में गायब हो गया।
फॉरेंसिक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि जम्मू एयरपोर्ट पर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस यानी आईईडी से हमला किया गया था। दोनों आईईडी डेढ़-डेढ़ किलो की थी। इस धमाके के लिए आरडीएक्स और नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था। ड्रोन में लगाये गए विस्फोटक काफी घातक थे, जिसका मतलब साफ है कि पाकिस्तान जम्मू एयर फ़ोर्स स्टेशन को भारी नुकसान पहुंचाना चाहता था। प्रारंभिक फॉरेंसिक जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि हमले में इस्तेमाल ड्रोन जीपीएस गाइडेड और चीन निर्मित था। यानी लड़ाकू विमान से लेकर हर हथियारों के लिए चीन के भरोसे रहने वाले पाकिस्तान ने भारत में अपने तरह के पहले ‘ड्रोन अटैक’ में भी चीनी ड्रोन का इस्तेमाल किया। हमले के बाद जम्मू एयरफोर्स स्टेशन की सुरक्षा को देखते हुए एंटी ड्रोन प्रणाली स्थापित कर दी गई है।
जीपीएस गाइडेड ड्रोन की खासियत होती है कि वह मिशन को अंजाम देने के बाद चुपचाप अपने ऑपरेटर के पास पहुंच जाता है। इसे एक बार लांच करने के बाद रिमोट से कंट्रोल करने की जरूरत नहीं होती है। यह ड्रोन जीपीएस लोकेशन की मदद से अपने टार्गेट तक खुद ही पहुंच जाता है। यानी जीपीएस गाइडेड ड्रोन से निपटना सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती होती है। सूत्रों का कहना है कि जम्मू एयर फ़ोर्स स्टेशन की इमारत और उपकरणों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से पहले ड्रोन ने ज्यादा बड़ा विस्फोटक गिराया था। इसके बाद दूसरे ड्रोन ने छोटे आकार का विस्फोटक गिराया जिसमें कीलों का इस्तेमाल किया गया था। इन कीलों वाले विस्फोटक से सैनिकों को टार्गेट किया जाना था।
सूत्रों का कहना है कि भारत में आरडीएक्स उपलब्ध नहीं है जबकि पाकिस्तान इसका इस्तेमाल विस्फोटक बनाने और अपने आतंकियों को मुहैया कराने के लिए करता है। इस हमले में भले ही ज्यादा नुकसान नहीं हुआ लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने इसे खतरे की घंटी मानकर अपने जांच तेजी से आगे बढ़ाई। भारत से लगी पाकिस्तान की सीमा करीब 3,000 किमी. लम्बी है। इतनी लम्बी सरहद पर पाकिस्तान फिर से जीपीएस गाइडेड ड्रोन के जरिये इसी तरह की साजिश रचने की आशंका में पूरी सीमा पर हाई अलर्ट है। (एजेंसी, हि.स.)
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