वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (american space agency) नासा (NASA) के अंतरिक्षयान द पार्कर सोलर प्रोब (Spacecraft The Parker Solar Probe) ने पहली बार सूरज (Touched The Sun) का ‘स्पर्श’ किया है. इस प्रोब ने अब तक अनछुए रह चुके सूरज के वातावरण sun’s atmosphere (कोरोना) में गोता लगाया. नासा के वैज्ञानिकों (NASA scientists) ने बुधवार को अमेरिकी जियोफिजिकल यूनियन की बैठक(American Geophysical Union meeting) के दौरान इस शानदार उपलब्धि का ऐलान किया. पार्कर सोलर प्रोब ( Parker Solar Probe) अप्रैल महीने में सूरज(Sun) के पास से अपनी 8वीं यात्रा के दौरान कोरोना से होकर गुजरा था.
ये मिशन असंभव इसलिए था, क्योंकि सूरज के कोरोना का तापमान 20 लाख डिग्री फॉरेनहाइट है. नासा (Nasa) का ये मिशन विज्ञान की दुनिया के लिए महानतम उपबल्धियों में से एक है और इंसानों के लिए एक मील के पत्थर है. रिपोर्ट के मुताबिक, पार्कर सोलर प्रोब रॉकेटशिप ने 28 अप्रैल को सूर्य के ऊपरी वायुमंडल, जिसे कोरोना कहा जाता है, उसमें कामयाबी के साथ प्रवेश किया. इसके साथ ही नासा के इस रॉकेट ने लाल गर्म तारे की सतह पर स्थित कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का सैंपल भी ले लिया है, जिसे पूरा करना अब तक असंभव माना जा रहा था.
कोरोना में 5 घंटे रहा स्पेसक्राफ्ट
नासा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नासा का ये स्पेसक्राफ्ट सूरज के कोरोना में 28 अप्रैल 2021 को एक प्वाइंट पर करीब 5 घंटे तक रहा. आंकड़ों से पता चलता है कि स्पेसक्राफ्ट ने तीन बार सूरज के कोरोना के कोरोना में प्रवेश किया था. नासा के इस ऐतिहासिक मिशन की रिपोर्ट साइंटिफिक पेपर फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुई है. इसमें सीएफए एस्ट्रोफिजिसिस्ट एंथनी केस ने बताया है कि कैसे सोलर प्रोब कप अपने आप में इंजीनियरिंग का एक अविश्वसनीय उपलब्धि था.
कैसे संभव हुआ नासा का मिशन?
हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन (CfA) में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के सदस्यों सहित वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के एक बड़े सहयोग के साथ इस ऐतिहासिक क्षण हासिल किया गया है. जिन्होंने जांच में एक महत्वपूर्ण उपकरण- सोलर प्रोब कप का निर्माण और निगरानी की. यह कप ही वह उपकरण है जिसने सूर्य के वायुमंडल से कण एकत्र किए हैं, जिससे वैज्ञानिकों को यह सत्यापित करने में मदद मिली कि अंतरिक्षयान वास्तव में कोरोना को छूने में कामयाब रहा है.