- रिक्त पदों की पूर्ति नहीं होने से प्रभावित हो रही दफ्तरों की कार्यप्रणाली
भोपाल। एक ओर प्रदेश में जहां बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर सरकारी कार्यालयों में अमले की कमी पदस्थ कर्मचारियों को खल रही है। क्योंकि रिक्त पदों के बाद भी संबंधित प्रशासन द्वारा इसकी पूर्ति के प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। इसमें उपभोक्ताओं का संरक्षण करने वाला नापतौल विभाग भी है। हाल यह है कि चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों की भर्ती नहींं होने से यहां लिपिकीय कर्मचारियों को भृत्य का काम भी स्वयं संभालना पड़ रहा है। हालांकि यह हाल सिर्फ नापतौल विभाग में नहीं, बल्कि सभी विभागों में बनी है। क्योंकि इनको रिक्त पदों की पूर्ति के प्रयास नहीं किये जाने से अमले की कमी का सामना करना पड़ रहा हैं। यह इसलिये भी कि शासकीय कार्यालयों में करीब सवा लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं। इसमें चतुर्थ श्रेणी पद भी है। लिहाजा यहां पद रिक्त होने से कार्यालयीन कार्य भी सुचारू रूप से संपन्न नहीं हो पा रहा है। इसके चलते विभागों में आक्रोश भी है। क्योंकि यहां पदस्थ लिपिकीय कर्मचारियों को अपने दायित्व से इतर दूसरी टेबल पर फाइल पहुंचाने तक का काम करना पड़ रहा है।
उठी भर्ती करने की मांग
विभागों में बनी इस स्थिति के कारण कर्मचारी मुखर होने लगे हैं। नाप तौल विभाग में पदस्थ व मप्र तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ के सचिव उमाशंकर तिवारी द्वारा विभागीय मंत्री व प्रमुख सचिव को भेजा गया पत्र इस कड़ी में अहम माना जा रहा है। क्योंकि नाप तौल विभाग का हवाला देते हुए कहा गया है कि तय 530 पदों में मौजूदा समय में 202 पद खाली हैं। लिहाजा इनको शीघ्र भरने की कार्रवाई की जाय।
सभी विभागों के यही हाल
प्रदेश में बीते 10 वर्षों दौरान भर्ती प्रक्रिया ठंडी रहने के कारण विभागों में रिक्त पदों की संख्या का आंकड़ा सवा लाख की संख्या पार कर गया है। एक आंकड़े के मुताबिक सबसे ज्यादा स्वास्थ्य विभाग में 35 हजार पद रिक्त हैं। जबकि इसके बाद सहकारिता विभाग में 13256 और नगरी एवं प्रशासन विभाग में 13226 पद रिक्त बताए गए हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 12 हजार और स्कूल शिक्षा विभाग में 10345 रिक्त पदों को छोड़ भी दिया जाय तो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में ही 10221 पद रिक्त बताये जा रहे हैं।
जबकि गर्मी के मौसम में इस अमले की महत्वता बढ़ जाती है।