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जापान में जन्म से दोगुना मौतें, आबादी में रिकॉर्ड गिरावट से उड़ी सरकार की नींद

टोक्यो। जापान में जनसंख्या गिरने का नया रिकॉर्ड बना है। पिछले साल के अब जारी हुए आंकड़ों से यह जाहिर हो गया है कि जनसंख्या में गिरावट रोकने की जापान सरकार की कोशिश कामयाब नहीं हो रही है। 2022 के आंकड़ों ने जापान के नीति निर्माताओं की चिंता बढ़ा दी है। पिछले साल जापान में कुल 7,99,728 शिशुओं का जन्म हुआ।

जापान में इतनी कम संख्या में शिशुओं का जन्म इसके पहले किसी एक साल में हुआ था। यह पहला मौका है, जब साल भर में जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या आठ लाख से कम रही। जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते 40 साल में किसी एक वर्ष में जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या घट कर आधी रह गई है। 1982 में 15 लाख से अधिक शिशुओं का जन्म देश में हुआ था।

दूसरी तरफ पिछले साल जापान में पिछले साल मृत्यु का भी रिकॉर्ड बना। जितनी मौतें पिछले साल हुईं, दूसरे विश्व युद्ध के बाद किसी एक वर्ष में ये संख्या उतनी नहीं रही थी। पिछले साल हुई मौतों की संख्या 15 लाख 80 हजार से अधिक रही। वैसे एक दशक पहले ही वार्षिक मौतों की संख्या वार्षिक जन्म संख्या को पार कर गई थी। तब से ये फासला बढ़ता चला जा रहा है।

जनसंख्या संबंधी इस ट्रेंड का नतीजा यह हुआ है कि जापान बूढ़े लोगों का देश बनता चला जा रहा है। जापान में ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जो काम करने की उम्र पार कर चुके हैं, इसलिए वे पेंशन और सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं पर आश्रित हैँ। इससे जापान की अर्थव्यवस्था के लिए संकट बढ़ता जा रहा है।


जापान में जन्म दर घटने की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी, जब देश में बहुत तेज गति से आर्थिक विकास दर्ज हुआ। अब देश में प्रति महिला जन्म दर सिर्फ 1.3 रह गई है, जबकि आबादी के स्थिर रहने के लिए यह कम से कम 2.1 होनी चाहिए। ताजा आंकड़ों के मुताबिक अब जापान की आबादी 12 करोड़ 55 लाख रह गई है।

जापान वासियों के लिए अच्छी खबर यह है कि वहां जीवन प्रत्याशा दर (हर जन्मे शिशु के जीवित रहने की अपेक्षित दर) ऊंची बनी हुई है। देश में 100 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या 1,500 से ऊपर है। लेकिन अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह चिंता की बात है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने इस वर्ष जनवरी में चेतावनी दी थी कि जापान अपनी सामाजिक गतिविधियों को बनाए रखने में अक्षम हो जाने के कगार पर पहुंच रहा है।

उन्होंने कहा था कि निम्न जन्म दर की समस्या के समाधान में अब और देर करने की गुंजाइश नहीं है। अब सरकार ने अगले महीने से एक नई एजेंसी बनाने की घोषणा की है, जो इस मुद्दे पर ध्यान देगी। जनसंख्या विशेषज्ञों के मुताबिक देश में आम जीवन संबंधी खर्च ऊंचा होने के कारण लोग अधिक बच्चे पैदा करने में रुचि नहीं लेते। 2022 में हुए एक अध्ययन का निष्कर्ष था कि बच्चों के पालन-पोषण के लिहाज से जापान सबसे महंगा देश है।

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