
नई दिल्ली । एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह (Air Chief Marshal A.P. Singh) ने कहा कि भारतीय वायुसेना आज (Indian Air Force today) तकनीक, कौशल और क्षमता तीनों में अग्रणी है (Is leader in Technology, Skill and Capability) ।
गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस पर वायुसेना के 93वें स्थापना दिवस समारोह में उन्होंने कहा, “मुझे गर्व है कि मैं ऐसी वायुसेना का हिस्सा हूं जो न केवल अत्याधुनिक तकनीक से लैस है, बल्कि साहस और समर्पण में भी अतुलनीय है। हमारे वायु वीरों ने हर युग में इतिहास रचा है। 1948, 1971, 1999 के युद्ध हों या फिर बालाकोट एयर स्ट्राइक और हालिया ऑपरेशन सिंदूर, हर बार भारतीय वायुसेना ने देश की रक्षा और सम्मान की नई मिसाल कायम की है।” यहां सीडीएस, वायुसेना प्रमुख, थलसेनाध्यक्ष व नौसेना की मौजूदगी में हेरिटेज विमानों द्वारा शानदार प्रदर्शन किया गया। तीनों सेनाओं के मार्चिंग दस्ते ने अपना प्रदर्शन किया। वायुसेना सेना के परेड दस्ते ने कदम ताल करते हुए सबका ध्यान आकर्षित किया।
इस दौरान अपने संबोधन में एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा, “हम न केवल आसमान के रक्षक हैं, बल्कि राष्ट्र के सम्मान के संरक्षक भी हैं।” उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना की निर्णायक कार्रवाई ने भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत किया। यह ऑपरेशन इस बात का प्रमाण है कि समर्पण, नियमित अभ्यास और प्रशिक्षण के जरिए कितनी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हर स्तर पर नेतृत्व अग्रिम मोर्चे से किया जा रहा है, और यही भारतीय वायुसेना की सबसे बड़ी ताकत है।
उन्होंने कहा, “हम सब मिलकर इस वायुसेना को बनाते हैं। हर वायु योद्धा का योगदान अमूल्य है। चाहे शांति का समय हो या युद्ध का, हर एक का कार्य उतना ही महत्वपूर्ण है।” उन्होंने यहां ऑपरेशन सिंदूर व अन्य ऑपरेशन में शामिल रहे एयर वॉरियर्स को सम्मानित किया। इसके साथ ही उन्होंने समस्त एयर वॉरियर्स को संदेश दिया कि निरंतर प्रशिक्षण और आत्म अनुशासन से ही वायुसेना की शक्ति बनी रहती है। उन्होंने कहा, “यह आवश्यक है कि हम नियमित प्रशिक्षण से खुद को हर कार्य के लिए सक्षम बनाएं। हर वायु योद्धा को यह संकल्प लेना चाहिए कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, मैं कभी कमजोर नहीं पड़ूंगा और इस श्रृंखला को टूटने नहीं दूंगा। एकजुट होकर हम हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।” भविष्य की तैयारियों पर बल देते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि सतर्कता और निरंतर अभ्यास ही सफलता की कुंजी है।
उन्होंने कहा, “हमें उभरती चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। हमारे प्रशिक्षण और रणनीतियां समय के साथ बदलती तकनीक और परिस्थितियों के अनुरूप होनी चाहिए।” वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने बीते वर्ष के दौरान न केवल राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा में अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया, बल्कि मानवीय राहत कार्यों में भी अद्वितीय भूमिका निभाई है। वायुसेना हमारे देश की पहली प्रतिक्रिया देने वाली शक्ति रही है। जब भी देश में कोई आपदा आई, चाहे वह असम में कोयला खदान हादसा हो, मेघालय या सलेम (तमिलनाडु) में सुरंग बचाव अभियान, मणिपुर और सिक्किम में भूस्खलन या बाढ़ की स्थिति हो, हमारे एयर वॉरियर्स ने हर बार तत्परता से राहत और बचाव कार्यों में भाग लिया।
वायुसेना प्रमुख ने बताया कि देश के भीतर ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी भारतीय वायुसेना ने संकट की घड़ी में मानवीय सहायता पहुंचाई है। उन्होंने कहा कि संकटग्रस्त क्षेत्रों से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने से लेकर, म्यांमार, लाओस, वियतनाम और केन्या जैसे देशों तक राहत सामग्री और मानव संसाधन पहुंचाने में भारतीय वायुसेना ने ‘सेवा परमो धर्मः’ की भावना को साकार किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना की करुणा, तत्परता और विश्वसनीयता ने दुनिया के सामने यह सिद्ध किया है कि हमारी वायुसेना केवल एक सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि मानवता की रक्षक भी है।
एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने आगे कहा कि बीते वर्ष भारतीय वायुसेना ने कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों में हिस्सा लिया, जिनमें हमारी टीमों ने अपने उच्च व्यावसायिक कौशल, रणनीतिक कुशलता और ‘इंटरऑपरेबिलिटी’ का प्रदर्शन किया। इससे भारत के सैन्य संबंध और राजनयिक संबंध दोनों मजबूत हुए हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नए सिस्टम, हथियारों और तकनीकी उपकरणों के साथ परिचालन योजनाओं में तेजी से एकीकरण हुआ है। सुरक्षा, अनुशासन और जवाबदेही की संस्कृति ने वायुसेना में नई ऊंचाइयां दी हैं, जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाओं और घटनाओं में स्पष्ट कमी आई है। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि नेतृत्व के हर स्तर पर अधिकारी अपने कर्मियों के साथ अग्रिम मोर्चे पर खड़े हैं, उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण और प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने सभी पूर्व वायुसेना कर्मियों (वेटरन्स) के प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि आज जो हम हैं, वह उनकी दूरदर्शिता, अनुशासन और समर्पण की विरासत का परिणाम है। अपने संबोधन के अंत में वायुसेना प्रमुख ने पश्चिमी वायु कमान, सभी एयर स्टेशन, मुख्यालय के अधिकारियों, परेड में शामिल सभी एयर वॉरियर्स तथा राज्य प्रशासन को उनके सहयोग और उत्कृष्ट आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “यह आयोजन न केवल हमारी गौरवशाली विरासत का प्रतीक है, बल्कि आने वाले समय के लिए हमारे संकल्प का भी संदेश है कि भारतीय वायुसेना सदैव राष्ट्र की सेवा में तत्पर रहेगी।” अपने प्रेरक संबोधन का समापन करते हुए उन्होंने कहा, “भारतीय वायुसेना सदैव राष्ट्र की सेवा में तत्पर रहेगी । हमारे साहस, प्रतिबद्धता और संकल्प से देश की सीमाएं सुरक्षित हैं और उसका मान अखंड।”
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