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MP: गाय का मांस खाना अच्छा हिंदू होने के लिए जरूरी…मैसेज भेजने वाले को HC से नहीं मिली राहत

December 02, 2025

भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने बुद्ध प्रकाश बौद्ध (Buddha Prakash Buddhist.) नाम के शख्स के खिलाफ दर्ज एक मामले को रद्द करने से मना कर दिया है। इस शख्स पर वाट्सऐप पर एक मैसेज (WhatsApp message) फैलाने का आरोप है, जिसमें दावा किया गया था कि गाय का मांस खाना एक अच्छा हिंदू होने के लिए जरूरी है और ब्राह्मण नियमित रूप से इसे खाते थे।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस मिलिंद रमेश फाडके ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मामला धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से जुड़े आरोपों का है। कोर्ट ने कहा कि यह जांच करना जरूरी है कि पोस्ट की सामग्री केवल शैक्षणिक थी या इसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्वीकार्य सीमा को पार कर दिया। यह बात पुलिस की पूरी जांच के बाद ही तय होगी। कोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा, आरोपित एफआईआर में निहित आरोपों को जब उनके फेस वैल्यू पर लिया जाता है, तो प्रथम दृष्टया अपराध के तत्वों का पता चलता है।


बुद्ध प्रकाश बौद्ध पर 27 सितंबर को मामला दर्ज किया गया था। शिकायत में कहा गया था कि वह एक ‘बी पी बौद्ध पत्रकार न्यूज़’ नाम से एक वाट्सऐप ग्रुप ग्चलाते हैं, जिसमें उन्होंने हिंदू धर्म और ब्राह्मण समुदाय के बारे में अपमानजनक और भ्रामक टिप्पणियों वाला एक मैसेज पोस्ट किया था। शिकायतकर्ता ने कहा, फॉरवर्ड किए गए मैसेज में प्राचीन रीति-रिवाजों से संबंधित दावे शामिल थे, जैसे कि एक अच्छे हिंदू होने के लिए गोमांस खाना जरूरी है, कुछ अवसरों पर बैल की बलि और मांस खाना अनिवार्य है, ब्राह्मण नियमित रूप से गोमांस खाते हैं, और कुछ धार्मिक कार्यक्रमों में कथित तौर पर गायों और बैलों का वध किया जाता है। हिंदू धर्म में गाय को बहुत सम्मान दिया जाता है, इसलिए इस पोस्ट ने उनकी और अन्य हिंदू और ब्राह्मण समुदाय के सदस्यों की धार्मिक भावनाओं को गहरा ठेस पहुंचाई है।

बौद्ध ने एफआईआफ रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया। उनके वकील ने तर्क दिया कि उन्होंने डॉ. सुरेंद्र कुमार शर्मा (अज्ञात) द्वारा लिखित एक किताब के केवल कुछ अंश ही पोस्ट किए थे। दूसरी ओर, राज्य की ओर से कहा गया कि शिकायत में लगाए गए आऱोपों से इस बात के संकेत मिलते हैं कि ये भड़काऊ मैसेज जानबूझकर दिए गए जो धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकती है और सार्वजनिक शांति भंग कर सकती है। वहीं कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादे से काम किया या उसने सद्भावनापूर्वक अंश पोस्ट किया, इस स्तर पर इसकी जांच नहीं की जा सकती।

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