काबुल. अफगानिस्तान में तालिबान के साथ शांति वार्ता के बावजूद आतंकी हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. रविवार को दो अलग-अलग बम धमाकों में कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई. वहीं बड़ी संख्या में लोगों के घायल होने की भी खबरे हैं. पहला हमला अफगानिस्तान में एक सैन्य अड्डे को निशाना बनाकर किया गया. जबकि, दूसरे हमले में प्रांतीय परिषद के प्रमुख को मारने की कोशिश की गई. अफगानिस्तान के पूर्वी गजनी प्रांत में अधिकारियों ने बताया कि हमलावार विस्फोटकों से भरी सैन्य गाड़ी को सैन्य कमांडो अड्डे पर ले गया और उसमें विस्फोट कर दिया. इसमें 31 सैनिकों की मौत हो गई जबकि 24 अन्य जख्मी हो गए. गजनी अस्पताल के प्रमुख ने बताया कि मृतकों में सभी सैन्यकर्मी हैं. बताया जा रहा है कि आत्मघाती हमलावर ने कार को उड़ाने से पहले मिलिट्री बेस के गेट पर फायरिंग भी की.
दक्षिणी अफगानिस्तान में अधिकारियों ने बताया कि जुबल में आत्मघाती हमलावर ने एक कार के जरिए प्रांतीय परिषद के प्रमुख के काफिले को निशाना बनाया. इस हमले में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और बच्चों समेत 12 अन्य जख्मी हो गए. प्रांतीय परिषद के प्रमुख रविवार को हुए हमले में बचे गए हैं और उन्हें मामूली चोटें आई हैं. इन हमलों की तत्काल किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है. अफगानिस्तान के बमियान प्रांत में मंगलवार को सड़क के किनारे छिपाकर रखे गए बम में विस्फोट होने से एक यातायात पुलिस कर्मी समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 45 लोग घायल हो गए थे. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक एरियन ने बताया था कि बमियान प्रांत के बमियान शहर में दोपहर में हुए विस्फोट में 45 लोग घायल हो गए. धमाके में कई दुकानें और गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई. तालिबान का जन्म 90 के दशक में उत्तरी पाकिस्तान में हुआ. इस समय अफगानिस्तान से तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) की सेना हारकर अपने देश वापस जा रही थी. पश्तूनों के नेतृत्व में उभरा तालिबान अफगानिस्तान में 1994 में पहली बार सामने आया. माना जाता है कि तालिबान सबसे पहले धार्मिक आयोजनों या मदरसों के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जिसमें इस्तेमाल होने वाला ज़्यादातर पैसा सऊदी अरब से आता था. 80 के दशक के अंत में सोवियत संघ के अफगानिस्तान से जाने के बाद वहां कई गुटों में आपसी संघर्ष शुरु हो गया था जिसके बाद तालिबान का जन्म हुआ
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