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हिमाचल के बाद अब कर्नाटक की तैयारी, कांग्रेस ने फिर खेला यह बड़ा दांव

नई दिल्‍ली (New Delhi) । कर्नाटक विधानसभा चुनाव (karnataka assembly election) से पहले कांग्रेस ने एक बार फिर से कैश ट्रांसफर का दांव खेला है. कांग्रेस ने कहा है कि अगर पार्टी कर्नाटक (Karnataka) में सत्ता में आती है तो प्रत्येक घर की मुख्य महिला को हर महीने 2000 रुपये नकद दिए जाएंगे. कांग्रेस (Congress) ने इसे गृह लक्ष्मी योजना नाम दिया है. सोमवार को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा (Congress leader Priyanka Gandhi Vadra) ने बैंगलुरु में इसकी घोषणा की. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि 24 हजार रुपये सीधे महिला के खाते में ट्रांसफर किया जाएगा. कांग्रेस ने इसे बिना शर्त यूनिवर्सल बेसिक इनकम का नाम दिया है. यानी ये रकम राज्य के सभी परिवारों को बिना भेदभाव के दी जाएगी. इस स्कीम से 1.5 करोड़ महिलाओं को लाभ मिलेगा.


कैश ट्रांसफर कांग्रेस की चुनावी रणनीति का अहम हथियार रहा है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में भी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इससे ही मिलती जुलती योजना का ऐलान किया था. कांग्रेस ने इस योजना को हर घर लक्ष्मी योजना का नाम दिया था. इस योजना के तहत कांग्रेस हर परिवार की महिला प्रमुख को 1500 रुपये प्रति महीने देगी. इस घोषणा का कांग्रेस को चुनावी फायदा मिला. कांग्रेस द्वारा किया गया ये वादा पार्टी के लिए वोटों की शक्ल में राजनीतिक लाभ लेकर आया. अब हिमाचल की सुक्खू सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए कमेटी बना दी है.

हिमाचल में भी लागू हुई योजना
राहुल गांधी ने इस स्कीम को लागू करने के लिए राज्य सरकार को बधाई दी है. उन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम को भी लागू करने के लिए कांग्रेस की राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए लिखा, “राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में ओपीएस लागू हो गया है. हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने बिना देरी वादा निभाया. ‘हर घर लक्ष्मी’ – महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपया पहुंचाने वाली योजना को 30 दिन में लागू करने के लिए भी कमेटी बैठाई. कांग्रेस मतलब भरोसा.

लोकसभा के दौरान राहुल ने की थी चर्चा
राहुल गांधी 2019 से ही डायरेक्ट नकदी ट्रांसफर स्कीम के पक्ष में हैं. वे इस स्कीम की जोर-शोर से पैरवी करते हैं. 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने न्यूनतम आय योजना (NYAY) योजना की चर्चा की थी. इस योजना के तहत कांग्रेस ने वादा किया था कि कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने पर देश के सर्वाधिक 20 फीसदी गरीब परिवारों को 72,000 रुपये तक सालाना नकद राशि देगी. यानी इस योजना से लाभान्वित होने वाले परिवार को हर महीने 6000 मिलने वाले थे. कांग्रेस ने इसे न्यूनतम आय योजना नाम दिया था.

छत्तीसगढ़ में पहले से चल रही है योजना
लोकसभा में कांग्रेस की हार के साथ ही तात्कालिक रूप से इस योजना की चर्चा बंद हो गई. लेकिन कांग्रेस ने इस सियासी हथियार को अपने पास से छिटकने नहीं दिया. 2020 में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार थोड़े-मोड़े बदलाव के साथ इस योजना को लेकर राज्य में आई. इस योजना का नाम दिया गया राजीव गांधी किसान न्याय योजना. इस योजना में सरकार ने किसानों को फोकस में रखा. इस योजना के तहत किसानों के लिए धान, मक्का और गन्ना फसलों के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है. ये प्रोत्साहन राशि 9000 रुपये प्रति एकड़ है.

कांग्रेस को दिखती है मनरेगा की छवि
कांग्रेस इन योजनाओं में मनरेगा की छवि देखती है. इसी मनरेगा ने 2009 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराई थी. इसलिए कांग्रेस इस बेसिक इनकम थ्योरी की जोर-शोर से पैरवी करती है. पार्टी का कहना है कि नोटबंदी, कोरोना और महंगाई से बुरी तरह से प्रभावित गरीबों के लिए ये मदद बड़ा सहारा साबित होगी. इसलिए इस स्कीम को यूनिवर्सल तौर पर यानी सभी के लिए लागू किया जाना चाहिए.

कर्नाटक के लिए गृह लक्ष्मी योजना का ऐलान करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि इस स्कीम से LPG की आसमान छूती कीमत और महंगाई की मार झेल रही महिलाओं को बड़ी मदद मिलेगी.

बता दें कि राहुल गांधी ने गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान भी न्याय योजना लागू करने की घोषणा की थी. राहुल ने तब कहा था कि किसी को भी भूखे नहीं सोना चाहिए. किसी माता-पिता को बच्चे की शिक्षा के लिए चिंतित नहीं होना चाहिए. गोवा में हर परिवार को 6000 प्रति महीने हमारा वादा है. राहुल ने कहा था कि न्याय गरीबी के खिलाफ हमारा सर्जिकल स्ट्राइक है. ये उन लोगों के लिए है, जो अमीरों को मदद देने की बीजेपी की नीति की वजह से पीछे छूट गए हैं.

हालांकि इन योजनाओं के लिए कांग्रेस की राज्य सरकारों के पास पैसा कहां से आएगा ये बड़ा सवाल है. ओल्ड पेंशन लागू करने की वजह से राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारों पर भारी आर्थिक दबाव पड़ा है. ऐसे में ये सरकारें डायरेक्ट कैश ट्रांसफर के लिए पैसा कहां से लाएंगी इस सवाल से कांग्रेस नेतृत्व को कभी न कभी दो चार होना पड़ेगा. लेकिन अभी कांग्रेस की पहली प्राथमिकता चुनाव जीतना है.

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