डेस्क: अफगानिस्तान में आतंकवाद एक बार फिर पैर पसारने लगा है. तालिबान के शासन में आने के बाद तेजी से आतंकवाद गुटों पर कार्रवाई की गई और कई गुटों को तालिबान लड़ाकों ने या तो सरेंडर कराया या उन्हें अफगानिस्तान से भगा दिया. हालांकि पाकिस्तान आरोप लगाता आया है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को तालिबान के आने के बाद नया जीवन मिला है.
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र एनालेटिकल सपोर्ट और सैंक्शन मॉनिटरिंग की आई रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि अफगानिस्तान में अल-कायदा फिर पैर पसारने लगा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अल-कायदा ने TTP के साथ मिलकर अफगानिस्तान में अपने अभियान का विस्तार किया है. साथ ही अफगानिस्तान और ईरान के बीच अपने सदस्यों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए दस नए प्रशिक्षण शिविर, पांच मदरसे, एक हथियार डिपो और कई सुरक्षित स्थान खोले हैं.
नए ट्रेनिंग कैंप अफगानिस्तान के गजनी, लघमन, परवान और उरुजगान प्रांतों में स्थित हैं, हालांकि इनमें से कुछ शिविर अस्थायी हो सकते हैं. अल-कायदा की ओर से चलाए जा रहे शिविरों की कुल संख्या दस बताई जा रही है, जो अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 10 में फैले हुए हैं. पिछली रिपोर्टों से संकेत मिले थे कि शिविर हेलमंद, जाबुल, नंगरहार, नूरिस्तान, बदगीस और कुनार में भी संचालित होते हैं.
दावा किया जा रहा है कि अल-कायदा नेता हकीम अल-मसरी कथित तौर पर प्रशिक्षण कार्यों की देखरेख कर रहा है, जिसमें आत्मघाती हमलावर प्रशिक्षण भी शामिल है, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लड़ाकों के लिए है. 20 साल लंबे चले युद्ध के बाद अफगानिस्तान के लोगों को शांति देखने मिली थी, इस रिपोर्ट के बाद लग रहा है ये शांति लंबे समय तक चल नहीं पाएगी. क्योंकि एक तरफ पाकिस्तान सीमा पर तनाव है और देश के अंदर फिर आतंकी संगठन जगह बनाने लगे हैं.
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