मध्‍यप्रदेश

मध्यप्रदेश इन हॉट सीटों पर सबकी निगाहें, जानिए प्रहलाद पटेल से लेकर कैलाश विजयवर्गीय तक का हाल

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Elections) के परिणाम आज सामने आ जाएंगे। भाजपा और कांग्रेस में मुख्य मुकाबला नजर आ रहा है। प्रदेश की कुछ सीटें ऐसी हैं, जिन पर प्रदेश के साथ ही देश के लोगों की नजर है। ऐसी ही सीटों के बारे में हम आपको बता रहे हैं। सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा (Budhni Assembly) प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट है। यहां से प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (Chief Minister Shivraj Singh) मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस ने विक्रम मस्ताल को टिकट दिया है। वे रामायण धारावाहिक में हनुमान बने थे, और यही उनकी पहचान है। सीएम शिवराज के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने वाले स्वामी वैराग्यानंद गिरि उर्फ मिर्ची बाबा को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया है। सीएम शिवराज इस सीट से लगातार जीतते आ रहे हैं। 2008 में शिवराज सिंह 41,525 वोटों से जीते थे। 2013 में 84,805 वोटों से कांग्रेस को मात दी थी। 2018 में मुख्यमंत्री शिवराज 58,999 वोटों से विजयी हुए थे। 2023 में यहां 84.86 प्रतिशत मतदान हुआ है।

छिंदवाड़ा सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और 2018 में सीएम बने कमलनाथ मैदान में हैं। इस सीट पर सबकी नजरे हैं। भाजपा ने यहां जिलाध्यक्ष विवेक बंटी साहू को उतारा है। 2008 में यहां से कांग्रेस के दीपक सक्सेना ने भाजपा के विवेक बंटी साहू को 3,444 वोटों से शिकस्त दी थी। 2013 में भाजपा के चौधरी चंद्रभान सिंह 24,778 वोटों से जीते थे। 2018 में कांग्रेस के दीपक सक्सेना ने 14,547 वोटों से जीत हासिल की थी। 2023 में छिंदवाड़ा में 81.77 फीसद लोगों ने वोट दिए हैं।

मुरैना जिले की दिमनी सीट भी इस बार हॉट सीट बनी हुई है। इसका कारण यहां से भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के रवीन्द्र सिंह तोमर से है। हालांकि यहां त्रिकोणीय टक्कर मानी जा रही है। 2008 में भाजपा के शिवमंगल सिंह तोमर 256 वोटों से जीते थे। 2013 में बसपा के बलवीर सिंह दंडोतिया ने 2,106 वोटों से जीते थे। 2018 में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया 18,477 वोटों से जीतकर चुने गए थे। दिमनी में इस बार 69.79 प्रतिशत मतदान हुआ है।


देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की विधानसभा सीट 1 पर इस बार भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को उतारा है। इस वजह से ये सीट भी सबकी नजरों में है। कांग्रेस ने वर्तमान विधायक संजय शुक्ला को मैदान में उतारा है। 2008 में भाजपा के सुदर्शन गुप्ता 8,183 वोटों से जीते थे। 2013 में भाजपा के सुदर्शन गुप्ता ने 54,176 वोटों से जीत दर्ज की थी। 2018 में कांग्रेस के संजय शुक्ला 8,163 मतों से विजयी हुए थे। इस बार इस सीट पर 72.28 प्रतिशत पर मतदान हुआ है।

दतिया सीट प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के कारण चर्चा में है। नरोत्तम मिश्रा भाजपा के तेजतर्रार नेता माने जाते हैं। कांग्रेस ने राजेंद्र भारती को टिकट दिया है। 2008 में नरोत्तम मिश्रा ने 11,233 वोटों से जीत पाई थी। 2013 में भाजपा के नरोत्तम मिश्रा 11,697 वोटों से जीते थे। 2018 में मिश्रा को 2,656 वोटों से जीत मिली थी। इस बार यहां से 79.40 लोगों ने मतदान किया है।

नरसिंहपुर सीट केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के नाम से चर्चा में आई है। भाजपा ने मौजूदा विधायक जालम सिंह पटेल का टिकट काटकर प्रह्लाद को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने लाखन सिंह पटेल को पर दांव लगाया है। 2008 में कांग्रेस के सुनील जायसवाल ने 8,199 वोटों से जीत दर्ज की थी। 2013 में भाजपा के जालम सिंह पटेल 48,481 वोटों से जीते थे। 2013 में जालम पटेल 14,903 वोटों से विजयी हुए थे। इस बार इस सीट पर 83.11 फीसदी लोगों ने वोट डाला है।

मंडला जिले की निवास विधानसभा सीट पर इस पर भाजपा ने केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है। इसीलिए इस सीट की चर्चा प्रदेशभर में है। कांग्रेस ने यहां से चैन सिंह वरकड़े को टिकट दिया है। 2008 में फग्गन सिंह कुलस्ते के भाई और भाजपा नेता रामप्यारे कुलस्ते 3,649 वोटों से जीते थे। 2013 में रामप्यारे कुलस्ते ने 10,910 वोटों से जीत दर्ज की थी। 2018 में कांग्रेस के डॉ. अशोक मर्सकोले 28,315 वोटों से जीते थे। 2023 में इस सीट पर 82.10 प्रतिशत मतदान हुआ है।

जबलपुर जिले की जबलपुर पश्चिम सीट भी हॉटसीट मानी जा रही है। यहां से भाजपा ने सांसद राकेश सिंह पर दांव आजमाया है। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री तरुण भनोत को मौका दिया है। 2008 में भाजपा के हरेन्द्र जीत सिंह ‘बब्बू’ 8,901 वोटों से चुनाव जीते थे। 2013 में कांग्रेस के तरुण भनोत ने 923 से जीत हासिल की थी। 2018 में तरुण भनोत 18,683 वोटों से जीते थे। इस बार यहां 71.63 प्रतिशत लोगों ने सरकार चुनने में सहयोग दिया है।

सतना जिले की शहर सीट सतना पर भी प्रदेश के लोगों की नजरें हैं। कांग्रेस ने वर्तमान विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को टिकट दिया है। 2008 में भाजपा के शंकरलाल तिवारी को 10,800 वोटों के अंतर से जीत मिली थी। 2013 में शंकरलाल तिवारी 15,332 वोटों से जीते थे। 2018 में कांग्रेस ने 12,558 वोटों से जीत हासिल की थी। इस बार यहां 71.92 फीसदी लोगों ने मतदान किया है।

पेशाब कांड के कारण सीधी विधानसभा सीट प्रदेशभर में चर्चित है। यहां से भाजपा ने मौजूदा विधायक केदारनाथ शुक्ल का टिकट काटकर सांसद रीति पाठक को मैदान में उतारा है। कांग्रेस से यहां ज्ञान सिंह ने मोर्चा संभाला था। यहां तीन चुनावों से भाजपा के केदारनाथ शुक्ल जीतते आ रहे हैं। 2008 में उन्होंने 26,822 वोटों से जीत दर्ज की थी। 2013 में 2,360 मतों से जीते थे। 2018 में 19,986 वोटों से विजय पाई थी। इस बार यहां के 69.57 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया है।

नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा सीट से भाजपा ने उदय प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है। उदय प्रताप वर्तमान में नर्मदापुरम लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। कांग्रेस से कांग्रेस की सुनीता पटेल ने मोर्चा संभाला। 2008 में कांग्रेस की साधना स्थापक ने 6,103 वोटों से जीत दर्ज की थी। 2013 में भाजपा के गोविंद सिंह पटेल 25,313 वोटों से जीते थे। 2018 में कांग्रेस की सुनीता पटेल ने 15,363 वोटों के अंतर् से जीत दर्ज की थी। 2023 के चुनावों में इस सीट पर 83.30 प्रतिशत लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया था।

भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट पर भी सबकी नजरें टिकी हैं। यहां से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा की ओर से अंबरीश शर्मा गुड्डु मैदान में रहे। 2008 में कांग्रेस के गोविंद सिंह 4,878 वोटों से जीते थे। 2013 में 6,273 वोटों से गोविंद सिंह जीते थे। 2018 में डॉ. गोविंद सिंह ने 9,073 वोटों से चुनाव जीता था। इस बार 67.24 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया है।

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