इसे कहते हैं मोदी मेहरबान तो चीता पहलवान…अफ्रीकी देश नामीबिया के जंगल में मारे-मारे फिरते चीतों की ऐसी तकदीर खुली कि भूखे मरते… डरते-सहमते शेरों की दहाड़ में दुबककर रहते चीतों को जंगल से निकालकर विमानों में लादकर विशाल भारत जैसे देश में लाकर सर पर बिठाया गया… अगवानी के लिए बड़े-बड़े नेताओं को लगाया गया…सेहत की जांच के लिए डॉक्टरों को बुलाया गया…सुरक्षा और हिफाजत के लिए इंसानों से लेकर हाथियों के दलों को लगवाया गया…चीतों के भोजन के लिए सैकड़ों जिंदा चीतलों को भिजवाया गया…सरकार से लेकर मंत्री और मंत्री से लेकर संतरी तक चीतों की सेवा में उनका अनुनय-विनय करते नजर आए…उनके लिए की गई मुकम्मल व्यवस्थाओं से उन्हें रूबरू कराया और हाथ जोडक़र मिन्नतें कर उन्हें समझाया कि उनकी खैरख्वाही के लिए मोदीजी आने वाले हैं…उनसे कोई शिकायत मत करना…हमारी चरित्रावली तुम ही लिखना, क्योंकि तुम मोदीजी के प्यारे हो… उनके दुलारे हो…तुम यदि नाखुश हो जाओगे…हमारी शिकायत करोगे तो मोदीजी का खौफ हम पर बरपेगा…जन्मदिन के दिन वो नाखुश हो जाएंगे…फिर हम कहां रह पाएंगे…चीते बेचारे खुद हैरान हैं कि उन्हें जंगल में छोडऩे के लिए लाया गया या भाजपाई बनाया गया…अब मोदीजी चीतों के साथ नजर आ रहे हैं…बैनर-पोस्टरों पर मोदीजी चीतों की संज्ञा पा रहे हैं…उधर जंगल का राजा शेर भी खुद हैरान है…उसके गले से दहाड़ तो दूर आवाज तक नहीं निकल रही है…वो समझ चुका है कि अब जंगल पर मोदीजी के चीते राज करेंगे… क्योंकि मोदीजी जिस पर हाथ रख दें वो पहलवान बन जाता है चीता भी शेर को ढेर करने की ताकत पा जाता है… बेचारा जो शेर अभी तक अपने आपको जंगल का राजा समझता था…जो जमाना मोदजी को शेरदिल कहता था…मोदीजी के साथ अपना नाम जुड़ा देखकर जो शेर गर्व महसूस करता था, वो भी अब उदास है…शेर की दहाड़ और ताकत से ज्यादा अब चीतों की छलांगें दुनिया और देश को लुभा रही हैं…अफ्रीका तो क्या पूरी दुनिया के चीते गुहार लगा रहे हैं-मोदीजी हमें भी गोद ले लो…हमें भी आपके जंगलों के महल में रखो…हम भी भाजपाई बनना चाहते हैं…आपके साथ हम भी तस्वीरों में दिखना चाहते हैं…क्योंकि हम जानते हैं कि भारत में एक ही सच है, बाकी सब मचामच है…जिसके सर पर मोदीजी का हाथ, वो कहलाए जगन्नाथ और छोड़ें मोदीजी साथ, वो हो जाए अनाथ…
बेचारा शेर…