विदेश

मंगल ग्रह पर ऑक्‍सीजन बनाने अमेरिका को मिली बड़ी कामयाबी

वॉशिंगटन। मंगल ग्रह पर जीवन की खोज में गए अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के Perseverance रोवर ने एक और कामयाबी हासिल की है। इसने लाल ग्रह के बेहद पतले वायुमंडल में ऑक्‍सीजन (Oxygen) बनाने में सफलता हासिल की है। इसके लिए रोवर में एक ऐसी खास डिवाइस लगाई गई थी। इस डिवाइस का नाम है Mars Oxygen In-Situ Resource Utilization Experiment यानी MOXIE। दरअसल, जीवन के लिए बेहद जरूरी ऑक्‍सीजन मंगल के वायुमंडल में 0.2% से भी कम है।


ऐसे बनाता है ऑक्‍सीजन
कार की बैट्री के साइज का यह रोबॉट उस डिवाइस का छोटा मॉडल है जो 2030 तक वैज्ञानिक मंगल पर भेजना चाहते हैं। एक पेड़ की तरह ही MOXIE भी कार्बनडायऑक्साइड लेता है। इसे खास मंगल के पतले वायुमंडल के लिए डिजाइन किया गया है। यह CO2 के मॉलिक्यूल्स को ऑक्‍सीजन और कार्बन मोनोऑक्साइड में स्प्लिट करता है। ऑक्‍सीजन के मॉलिक्यूल मिलकर 99.2% तक शुद्ध O2 बनाते हैं। इसके बाद यह सांस लेने लायक ऑक्‍सीजन और कार्बन मोनोऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ता है। भविष्य की बड़ी डिवाइस में ऑक्‍सीजन को स्टोर किया जाएगा जिसका इंसान और रॉकेट इस्तेमाल कर सकेंगे।

एक घंटे में 10 ग्राम ऑक्‍सीजन का लक्ष्य
MOXIE एक छोटा एक्सपेरिमेंट है। अभी अगर यह उम्मीद के मुताबिक काम करता है तो यह एक घंटे में 10 ग्राम ऑक्‍सीजन बना सकेगा। इस बात को लेकर चिंता पर, कि कार्बन मोनोऑक्साइड का वायुमंडल में होना खतरनाक हो सकता है, MOXIE के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर माइकल हेट ने बताया था कि गैस मंगल के वायुमंडल में वापस जाकर ऑक्‍सीजन से मिल जाएगी और फिर कार्बन डायऑक्साइड पर बदल जाएगी।

Ingenuity ने भरी उड़ान
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के परसेवेरेंस रोवर के साथ मंगल पर पहुंचा Ingenuity हेलिकॉप्टर ने उड़ान भरकर इतिहास रच दिया है। Ingenuity हेलिकॉप्टर ने मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर में बने एक अस्थायी हेलिपैड से उड़ान भरी। यह धरती के अलावा पहली बार किसी दूसरे ग्रह पर हेलिकॉप्टर की उड़ान है। नासा के Ingenuity स्वायत्त रूप से अपनी पूरी उड़ान का संचालन किया। लगभग 1.8 किग्रा का यह रोटरक्राफ्ट अपने चार कार्बन-फाइबर ब्लेड के सहारे उड़ान भरी जिसके ब्लेड 2400 राउंड प्रति मिनट की दर से घूम सकते हैं। यह स्पीड धरती पर मौजूद हेलिकॉप्टरों के ब्लेड की रोटेटिंग स्पीड से लगभग 8 गुना ज्यादा है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि मंगल का वातावरण धरती की तुलना में 100 गुना अधिक पतला है।

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