विदेश

परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संयुक्त राष्ट्र की संधि का अमेरिका ने किया विरोध

वॉशिंगटन । अमेरिका ने परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाली संयुक्त राष्ट्र की संधि का विरोध किया है। अमेरिका ने इस संधि का समर्थन करने वाले देशों को पत्र लिखकर इससे पीछे हटने की अपील की है। उसने कहा है कि दुनिया की पांच परमाणु महा शक्तियां- अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस एवं अमेरिका के नाटो सहयोगी संधि के संभावित दुष्‍परिणामों को लेकर हमारे विरोध के पक्ष में हैं।

अमेरिका ने कहा है कि इस संधि से हम वापस निरस्त्रीकरण के दौर में पहुंच जाएंगे। यह आधी सदी पुरानी उस परमाणु अप्रसार संधि के लिए घातक होगा जिसे वैश्विक अप्रसार प्रयासों के लिए मील का पत्थर माना जाता है। हमारा मानना है कि आपने (समर्थक देश) एक रणनीतिक गलती की है। हम परमाणु हथियार निषेध संधि का समर्थन करने के आपके अधिकार को स्वीकार करते हैं लेकिन आपको इस मसले पर समर्थन वापस लेना चाहिए।

उल्‍लेखनीय है कि संधि को लागू करने के लिए 50 देशों के समर्थन की दरकार है। समर्थक देशों का कहना है कि इसे इस हफ्ते मंजूरी मिल सकती है। यदि यह संधि अमल में आती है तो इसका समर्थन करने वाला कोई भी देश किसी भी सूरत में, कभी भी परमाणु हथियार या अन्य परमाणु विस्फोटक हथियार को विकसित नहीं कर सकता है। उनका परीक्षण, उत्पादन, निर्माण नहीं कर सकता है और उन्हें रख भी नहीं सकता है।

यह परमाणु हथियारों या परमाणु विस्फोटक उपकरणों के किसी भी हस्तांतरण या इस्‍तेमाल को भी प्रतिबंधित करता है। हाल ही में अमेरिका और रूस हथियार नियंत्रण समझौते को अगले एक साल तक और बढ़ाने के लिए राजी हो गए हैं। अमेरिका और रूस दोनों ही इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए अपनी रजामंदी दे चुके हैं। रूस ने कहा है कि वह परमाणु आयुधों की संख्या को मौजूदा सीमा पर ही बरकरार रखने को तैयार है।

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