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राज्यसभा में उठा आंगनवाड़ी रसोई आधुनिकीकरण, भोजपुरी एकेडमी का मुद्दा; वायु प्रदूषण पर जताई चिंता

December 02, 2025

नई दिल्ली। मंगलवार को राज्यसभा (Rajya sabha) में शून्यकाल के दौरान सांसदों (MPs) ने आंगनवाड़ी रसोई (Anganwadi Kitchen) के आधुनिकीकरण और भोजपुरी साहित्य एकेडमी बनाने से लेकर बढ़ते वायु प्रदूषण संकट (Air Pollution Crisis) तक के मुद्दे उठाए। भाजपा सांसद रेखा शर्मा ने आंगनवाड़ी पोषण रसोई के आधुनिकीकरण के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाने की मांग की। जिसमें स्टील के बर्तन और खाना स्टोर करने की जगह, साफ काउंटर, पीने का साफ पानी और साफ वातावरण की व्यवस्था जैसे अपग्रेड का प्रस्ताव दिया।

आंगनवाड़ी नेटवर्क को भारत की प्रमुख सामाजिक कल्याण उपलब्धियों में से एक बताते हुए उन्होंने कहा कि आज की जरूरतों को पूरा करने के लिए पोषण रसोई को आधुनिक बनाने की जरूरत है। शर्मा ने बाजरे से बने पोषण मेन्यू के महत्व पर जोर दिया और जिन राज्यों ने अभी तक यह तरीका नहीं अपनाया है, उनसे इसे लागू करने की अपील की। उन्होंने खाना सप्लाई करने के लिए सेल्फ-हेल्प ग्रुप (SHG) को जोड़ने और आंगनवाड़ियों की डिजिटल मॉनिटरिंग और ग्रोथ ट्रैकिंग सिस्टम को मजबूत करने की भी मांग की।


कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण ने उत्तर प्रदेश के कुशीनगर और देवरिया जिलों में एक केंद्रीय भोजपुरी साहित्य अकादमी बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे सीमांचल, मिथिला और नेपाल के साहित्यकारों और कलाकारों को एक प्लेटफॉर्म मिलेगा और भाषा को खत्म होने से बचाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली, बिहार और मध्य प्रदेश में भोजपुरी अकादमी चल रही हैं। उत्तर प्रदेश, जिसे भोजपुरी भाषा का गढ़ माना जाता है, में ऐसी कोई अकादमी नहीं है।

वाईएसआरसीपी के सांसद अयोध्या रामी रेड्डी अल्ला ने बढ़ते वायु प्रदूषण संकट को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में रहने वाले लगभग सात में से एक निवासी को वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले मौत का खतरा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल 17,000 से ज़्यादा मौतें सीधे तौर पर खराब वायु गुणवत्ता की वजह से हुईं, और राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्सर गंभीर कैटेगरी में रहा।

रेड्डी ने विशाखापत्तनम में भी इसी तरह के संकट पर रोशनी डाली, जहां पिछले सात वर्षों में PM10 का लेवल 32.7 प्रतिशत बढ़ा है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के लिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत 129.4 करोड़ रुपये दिए गए थे, लेकिन सिर्फ़ 39.64 करोड़ रुपये ही इस्तेमाल हुए हैं, जिससे मॉनिटरिंग, विभाग के बीच तालमेल और स्थानीय प्रशासन में समन्वय में गंभीर कमियां सामने आई हैं। उन्होंने दावा किया कि वायु प्रदूषण से भारत को हर साल अपनी GDP के 3 प्रतिशत से ज़्यादा का नुकसान होता है, उन्होंने प्रदूषण से निपटने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की मांग की।

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