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दिलीप कुमार से मिलने जबरन पार्टी में घुसे अनुपम खेर, फिर कैमरे के सामने साथ आए तो हुआ था ये हाल

मुंबई। हर इंसान अपने जीवन में किसी न किसी का प्रशंसक तो होता ही है, फिर मामला अभिनय का हो तो बात ही कुछ और है। शिमला में रहते हुए कभी घर में बिना बताए या फिर भीड़ में लात घूंसे खाकर दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार की फिल्में देखने वाले अनुपम खेर ने अपने इस पसंदीदा कलाकार से पहली बार मिलने का एक खास किस्सा सुनाया और ये भी बताया कि क्या हुआ जब पहली बार दोनों का कैमरे के सामने हुआ था आमना-सामना!

अनुपम खेर बताते हैं, “मेरी दिलीप साहब से पहली मुलाकात काफी दिलचस्प रही। ये बात ‘सारांश’ की रिलीज से करीब साल भर पहले की है। मेरी मुलाकात एक पत्रकार से हुई अली पीटर जॉन। उनका फोन आया कि स्क्रीन (साप्ताहिक फिल्म पत्रिका) की पार्टी है, तुम भी आ जाओ। तो इस पार्टी में मैं बिन बुलाए मेहमान की तरह या समझिए कि गेट क्रैशर की तरह जा पहुंचा। मुझे बताया गया था कि दिलीप साहब पार्टी में आने वाले थें तो उनसे मिलने की मेरी ललक मुझे इस पार्टी में ले आई।”

तो फिर क्या हुआ जब अनुपम खेर पहली बार दिलीप कुमार से साक्षात मिले? ये पूछने पर अनुपम चहक जाते हैं, “मैंने दिलीप साहब को नमस्ते किया तो उन्हें लगा कि मैं शायद उनका कोई पुराना जानकार हूं और अरसे से मिला नहीं हूं। तो उन्होंने बहुत लाड से मेरा हाथ पकड़ लिया और सिर्फ पकड़ ही नहीं लिया, कोई 10-15 मिनट उसे थामे थामे ही पूरी पार्टी में घूमते रहें। वे मेरा परिचय लोगों से अपने पुराने जानकार के तौर पर कराते और मैं क्या कहता कि मैं कौन हूं? मैं तो घर लौटा तो दो दिन तक न हाथ धोए और न नहाया। अपना हाथ दिलीप कुमार के हाथों में होने के एहसास ने मुझे ऐसा करने से बार बार रोक लिया।”


फिर वो लम्हा भी आया जब अनुपम खेर न सिर्फ दिलीप कुमार को बल्कि पूरी दुनिया को बता सके कि वह कौन हैं। ‘सारांश’ रिलीज हो चुकी थी और सुभाष घई ने उन्हें साइन किया था फिल्म ‘कर्मा’ के लिए। हिंदी सिनेमा में खलनायकों के कुछ ही किरदार हुए हैं जिनके नाम लोगों को दशकों बाद भी याद रहे, जैसे कि गब्बर सिंह, डॉक्टर डैंग और मोगैम्बो। कर्मा में अनुपम खेर ने डॉक्टर डैंग का रोल किया है।

अनुपम बताते हैं, “मेरी उस दिन सुबह सात बजे की शिफ्ट थी तो मैं मेकअप वगैरह करके दाढ़ी लगाकर रेडी था। कोई 11 बजे दिलीप कुमार आए। आते ही सुभाष घई से बोले, अरे भई कुछ चाय वगैरह मिलेगी क्या? मैं दिलीप कुमार को सामने देख हतप्रभ। बस उन्हें निहारे जा रहा था, निहारे जा रहा था। सुभाष घई ने ये देखा तो मुझे उठाकर एक कोने में ले गए और बोले, ये क्या कर रहे हो।

इतना प्रभावित हो जाओगे इनके आभा मंडल से तो कैमरे के सामने सामना कैसे करोगे? मैंने तब अपने अभिनय की तालीम में सीखा गया वाक्य उनके सामने दोहराया, अभी अनुपम खेर जो है वह दिलीप कुमार को देख रहा है। कैमरा ऑन होगा तो राणा विश्व प्रताप सिंह को डॉक्टर डैंग दिखेगा। आप चिंता मत करिए।” और इसके बाद दोनों के बीच परदे पर जो हुआ, उसकी गूंज आज तक ये फिल्म देखने वालों के जेहन  से गई नहीं हैं।

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