दुबई । खाड़ी अरब क्षेत्र के छह देशों वाले एक समूह ने अपने आंतरिक कलहों को दरकिनार करते हुए ईरान पर हथियारों को लेकर लगाए गए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध को आगे बढ़ाने की वकालत की है। जबकि ईरान पर लगा मौजूदा प्रतिबंध दो महीने में समाप्त होने वाला है। संयुक्त राष्ट्र ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनावों के बीच उस पर 2010 में विदेशों से हथियार खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इस बारे में खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक पत्र भेजा है, जिसमें ईरान पर प्रतिबंध बरकरार रखने का समर्थन किया गया है। इस प्रतिबंध की वजह से ईरान विदेश में निíमत युद्धक विमान, टैंक और हथियार नहीं खरीद सकता है। खाड़ी सहयोग परिषद में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
परिषद का आरोप है कि ईरान ने पड़ोसी देशों में सीधे या संगठनात्मक गतिविधियों के माध्यम से हथियारों के जरिये दखल देना बंद नहीं किया है। समूह का कहना है कि ऐसे संगठनों को ईरान द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है। बता दें कि सऊदी नीत गठबंधन का यमन में हूती विद्रोहियों के साथ युद्ध जारी है। हूती विद्रोहियों के बारे में संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और हथियार विशेषज्ञों का आरोप है कि इन्हें हथियारों की आपूर्ति ईरान द्वारा की जाती है।
हालांकि ईरान हूती विद्रोहियों को हथियार और जरूरी चीजें मुहैया कराने से मना करता रहा है लेकिन लगातार ईरान के हथियार यमन में मिलते रहते हैं। जीसीसी का कहना है कि जब तक ईरान इस क्षेत्र को अस्थिर करने वाली अपनी गतिविधियों और आतंकवादियों और विभाजनकारी संगठनों को हथियार की आपूर्ति कराने वाली गतिविधियों को नहीं छोड़ता है तब तक उस पर से प्रतिबंध हटना नहीं चाहिए।
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