विदेश

आसियान की अपील-म्यांमार में तत्‍काल हिंसा रोकी जाए

जकार्ता। एसोसिएशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन नेशंस Association of South-East Asian Nations (आसियान) ने म्यांमार (Myanmar) के संकट को हल करने के लिए जो पहल की है, उसे व्यावहारिक और सही दिशा में एक कोशिश समझा जा रहा है। अपनी योजना के पहले कदम के रूप में आसियान ने अमेरिका(America) और चीन(china) के विदेश मंत्रियों (Foreign ministers) के साथ बैठक करने का इरादा जताया है। म्यांमार(Myanmar) में पिछली एक फरवरी को सेना ने निर्वाचित सरकार का तख्तापलट(Coup) दिया था। तब से वहां सैनिक शासन विरोधी जन आंदोलन (Anti-military mass movement) में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। इसके बावजूद आंदोलनकारियों ने अपनी लड़ाई जारी रखी है।
म्यांमार के संकट के हल का रास्ता ढूंढने के लिए आसियान देशों ने यहां 24 अप्रैल अपनी विशेष बैठक की। बैठक में तय हुई कार्ययोजना को तुरंत जारी नहीं किया गया। बैठक के बाद एक बयान जरूर जारी किया गया, जिसमें म्यांमार में हिंसा तुरंत रोकने की अपील की गई। अब आसियान सूत्रों ने मीडिया को बताया है कि म्यांमार की समस्या का हल निकालने के लिए अमेरिका और चीन के बीच सहमति बनाने की जरूरत महसूस की गई है। चीन के विदेश मंत्री के साथ मुलाकात तय करने की दिशा में अच्छी प्रगति हुई है। अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ संपर्क करने की भी आसियान के राजनयिक कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा आसियान ने अपना एक दूत म्यांमार के सैनिक शासकों के पास भेजने का भी फैसला किया है।



आसियान का दूत म्यांमार में सैनिक शासकों और लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों को बातचीत की मेज पर लाने की कोशिश करेगा। आसियान ने म्यांमार को ‘मानवीय सहायता’ देने का फैसला भी किया है। जानकारों के मुताबिक आसियान की समझ यह है कि म्यांमार के सैनिक शासकों को लोकतंत्र बहाल करने के लिए मजबूर करने की स्थिति में वह नहीं है। इसलिए उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय खास कर अमेरिका और चीन की मदद की जरूरत है।
आसियान की योजना को शुक्रवार को बड़ा बल मिला, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आसियान के बयान के अनुरूप म्यांमार में तुरंत हिंसा रोकने की अपील की। विश्लेषकों ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपने बयान की भाषा इस रूप में तैयार की, जिससे चीन और रूस को कोई आपत्ति ना हो। परिषद ने आसियान से म्यांमार के लिए अपना दूत तुरंत नियुक्त करने का आग्रह किया। परिषद की इस अपील को आसियान की योजना का समर्थन माना गया है। इसे इस बात का संकेत समझा गया है कि आसियान की योजना को अमेरिका और चीन सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य सभी देशों का समर्थन हासिल हो गया है।
बताया जाता है कि चीन और रूस का समर्थन हासिल करने के मकसद से परिषद के बयान में ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हिंसा की कड़ी निंदा’ का वाक्य हटा दिया गया। इसकी जगह सैनिक शासकों से पूर्ण संयम बरतने की अपील की गई। उम्मीद जताई गई है कि इससे चीन और रूस का साथ आसियान को मिल सकेगा। गौरतलब है कि चीन और रूस दोनों म्यांमार के अंदरुनी मामले में सीधे बाहरी हस्तक्षेप का विरोध करते रहे हैं।
आसियान की बैठक के बाद जारी बयान का अमेरिका ने समर्थन किया था। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस तब एक ट्विट में कहा था कि अमेरिका म्यांमार की सेना द्वारा पैदा किए गए संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए आसियान के प्रयासों का समर्थन करता है। चीन पहले से ही म्यांमार में आसियान की पहल का समर्थन करता रहा है। इसलिए इस बात की संभावना काफी मजबूत है कि आसियान की योजना पर अंतरराष्ट्रीय सहमति बन जाए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ताजा बयान से ये उम्मीद और मजबूत हुई है।
शुक्रवार की परिषद की बैठक आसियान के सदस्य वियतनाम के बुलावे पर हुई। वियतनाम ने जकार्ता में हुई आसियान की बैठक में हुई चर्चा की जानकारी देने के लिए ये बैठक बुलाने का आग्रह किया था। जानकारों का कहना है कि म्यांमार के सैनिक शासकों को शांतिपूर्ण समाधान के लिए राजी करना आसान नहीं है, लेकिन आसियान की कोशिशों से इस मामले में एक ठोस और संयुक्त अंतरराष्ट्रीय पहल होने का रास्ता तैयार होता जरूर दिख रहा है।

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