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नवंबर माह में इस दिन पड़ रहा है भौम प्रदोष व्रत, ऐसे करें पूजा, मनोकामनाएं होंगी पूरी

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित है। प्रत्‍येक माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि हर माह में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शिव भक्त प्रदोष व्रत रखेंगे। इस बार 16 नवंबर, मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat On 16th November) रखा जाएगा। इस दिन मंगलवार होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat 2021) कहा जाएगा। इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ हनुमान जी (Hanuman Ji) का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसलिए कहते हैं कि उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्तों को प्रदोष व्रत रखने की सलाह दी जाती है।

प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनके समस्त संकटों का नाश होता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती (Mother Parvati) की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा (Pradosh Kaal Puja) करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। और भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। आइए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत का महत्व, पूजन का समय और पूजन विधि के बारे में।

भौम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Bhaum Pradosh Vrat Shubh Muhurat 2021)
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष तिथि आरंभ- 16 नवंबर 2021 प्रातः 10 बजकर 31 मिनट से शुरु होकर
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष तिथि समाप्त- 17 नवंबर 2021 दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर होगा।
पूजन शुभ मुहूर्त- शाम 6 बजकर 55 मिनट से लेकर 8 बजकर 57 मिनट तक
प्रदोष व्रत का पूजन सदैव प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के समय ही किया जाता है।


प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat Significance)
भगावन शिव को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि के व्रत और पूजा आदि करने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि भोलेशंकर को ये दोनों अति प्रिय है, इसलिए भक्त ये व्रत रखकर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत को नियम और निष्ठा के साथ रखने से व्यक्ति के कष्टों का नाश होता है। वहीं, मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है। उस दिन पूजा पाठ आदि करने से कुंडली में मंगल मजबूत होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

प्रदोष व्रत पूजन विधि (Pradosh Vrat Pujan Vidhi)
हर माह त्रयोदशी तिथि को प्रातः उठकर स्नानादि करने के बाद दीप प्रज्वलित करें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन पूरा दिन व्रत करने के बाद प्रदोष काल में किसी मंदिर में जाकर पूजन करना चाहिए। अगर मंदिर जाना संभव न हो तो घर में ही मंदिर या स्वच्छ स्थान पर शिवलिंग स्थापित करके पूजन करें। पूजा के दौरान शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी व गंगाजल से अभिषेक करें। धूप-दीप फल-फूल, नैवेद्य आदि से विधिवत पूजन करें। पूजन और अभिषेक के दौरान शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय का जाप अवश्य करें।

नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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