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पटना में हो सकती है विपक्षी नेताओं की बड़ी बैठक, नीतीश लाएंगे नया फॉर्मूला

नई दिल्‍ली (New Delhi) । जून आते-आते बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के पटना (Patna) में शीर्ष विपक्षी नेताओं (opposition leaders) संग बड़ी बैठक (meeting) के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि तिथि घोषित बाकी है लेकिन, करीबी सूत्रों का कहना है कि विपक्षी नेताओं की बैठक में राहुल गांधी समेत कई दिग्गज उपस्थित हो सकते हैं। विपक्ष की आगामी बैठक का एजेंडा संभावित रूप से 2024 चुनाव में विपक्ष को मजबूत करने पर है। ऐसी कोशिश है कि 450 सीटों पर भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक आम उम्मीदवार हो, नीतीश पहले ही लोकसभा चुनावों में भगवा पार्टी को हराने के इसे संभावित विकल्पों में प्रमुख बता चुके हैं। नीतीश कांग्रेस के अलावा ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव को साधने में सफल भी रहे हैं। फिर भी उनकी राह में रोड़े अभी बाकी हैं।

भगवा पार्टी से नाता तोड़कर और पिछले अगस्त में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और अन्य दलों के साथ एक नया गठबंधन बनाने के तुरंत बाद जेडीयू ने भाजपा विरोधी गठबंधन की रूपरेखा को आकार देना शुरू किया। नीतीश विपक्षी एकता के मिशन में मुख्य बिंदु के रूप में उभरे हैं। वह न केवल कांग्रेस को इसके लिए साथ चलने पर सहमत करने में सफल रहे, बल्कि अन्य पार्टियों में ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे प्रमुख क्षेत्रीय नेताओं के बीच खाई कम करने में अभी तक सफल भी रहे हैं। ये तीनों नेता ‘एकला चलो’ नैरेटिव को छोड़कर विपक्षी एकता बनाने की बात कर चुके हैं।


21 मई को, नीतीश ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से केंद्र के उस अध्यादेश के खिलाफ अपना समर्थन देने के लिए मुलाकात की, जो अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण और सेवा मामलों में दिल्ली सरकार को अंतिम अधिकार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ था।

महागठबंधन की रहा में रोड़े
हालांकि, महागठबंधन बनाने की नीतीश की राह में अभी भी बाधाएं हैं। ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सुप्रीमो के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और वाईएसआरसीपी प्रमुख वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी का अभी साथ आना बाकी है। उधर, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन का साथ नीतीश को मिल चुका है।

क्या है बैठक का एजेंडा
विपक्ष की आगामी बैठक का एजेंडा संभावित रूप से 2024 चुनाव में विपक्ष को मजबूत करने पर है। ऐसी कोशिश है कि 450 सीटों पर भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक आम उम्मीदवार हो, नीतीश पहले ही लोकसभा चुनावों में भगवा पार्टी को हराने के इसे संभावित विकल्पों में प्रमुख बता चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी की चरम पर लोकप्रियता के चलते प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली भाजपा को लगभग 38 प्रतिशत वोट मिले। जनता दल (यूनाइटेड) के एक नेता का कहना है कि, “फैक्ट्स से साफ है कि 62 प्रतिशत मतदाताओं ने पार्टी के खिलाफ मतदान किया। हमारे विचार का एक हिस्सा इन मतदाताओं को एकजुट करना है।”

एक सीट- एक कैंडिडेट
भाजपा की मजबूत चुनाव मशीन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोगों पर भारी प्रभाव को देखते हुए माना जा रहा है कि नीतीश ने विपक्षी नेताओं से 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक के खिलाफ एक नीति सुनिश्चित करने के लिए कहा है। मतलब ‘विपक्ष की ओर से एक सीट, एक उम्मीदवार’। इस तरह के सीट-बंटवारे के फॉर्मूले ने 1977 और 1989 के आम चुनावों में विपक्ष को अनुकूल परिणाम दिए थे।

नीतीश के लिए कितना मुमकिन
हालांकि ‘एक सीट, एक उम्मीदवार’ के फॉर्मूले पर चलना इतना आसान होगा, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन नीतीश को उम्मीद है कि सभी भाजपा विरोधी पार्टियां ऐसा करने की कोशिश करेंगी। लोकसभा में अपने छह कार्यकालों के अलावा 17 साल तक मुख्यमंत्री रह चुके नीतीश के पास राजनीतिक जटिलताओं को दूर करने में महारथ है। साथ ही, विपक्षी नेताओं के साथ गर्मजोशी, नीतीश के लिए विपक्ष के पीएम उम्मीदवार की राह भी खोल रही है।

फॉर्मूला
केंद्र में नीतीश का लक्ष्य भाजपा विरोधी वोट को ज्यादा से ज्यादा मजबूत करना है। नीतीश विपक्षी नेताओं को यह समझाने में भी कुछ हद तक कामयाब रहे हैं कि विपक्ष की मेज पर कांग्रेस कितनी महत्वपूर्ण है। नीतीश जानते हैं कि 12 राज्यों में से नौ में कांग्रेस, सहयोगी के साथ या उसके बिना भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में है, जो लोकसभा चुनावों में विपक्ष की सफलता के लिए कितनी जरूरी है। कांग्रेस असम, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में है, जबकि महाराष्ट्र और झारखंड में सहयोगी दलों के साथ अच्छी स्थिति में है। नीतीश का मानना है कि इन राज्यों में कांग्रेस को उसकी प्रमुखता दी जानी चाहिए और बदले में देश की सबसे पुरानी पार्टी को बिहार में महागठबंधन और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का समर्थन करना चाहिए।

सीटों पर थमेगी रार
विपक्ष में सहयोगियों से नीतीश को मिली प्रतिक्रिया के आधार पर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए सीटों की संख्या अधिक मिलने की उम्मीद है। नीतीश भी अन्य दलों से कांग्रेस संग आपसी मतभेदों को दूर करने के बारे में बात कर रहे हैं। फॉर्मूला है कि राज्य में आपसी प्रतिद्वंद्विता और अहंकार छोड़ भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए सहयोग जरूरी है।

संयोग से, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तेवर भी अब नरम पड़ रहे हैं। उन्होंने बीते 24 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता पर चर्चा करने के लिए पटना में सभी गैर-भाजपा दलों की बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया था। ममता ने कोलकाता में नीतीश और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद इस विचार के बारे में बात की थी।

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