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BJP ने 7 केंद्रीय मंत्रियों को नहीं भेजा राज्यसभा, जानें क्या है वजह? सामने आई अहम रणनीति

नई दिल्ली। राज्यसभा (Rajya Sabha) की 56 सीटों के लिए चुनाव (Election) 27 फरवरी को होने वाले हैं। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 15 फरवरी है। राजनीतिक दलों (Political parties) की ओर से उम्मीदावारों का ऐलान किया जा चुका है। अगर सत्ताधारी दल बीजेपी (BJP) की बात करें तो सात केंद्रीय मंत्री, जिनका राज्यसभा का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है। उन्हें भाजपा ने दोबारा राज्यसभा नहीं भेजा है। जिसके बाद ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें लोकसभा चुनाव में उतार सकती है।

पार्टी ने जिन केंद्रीय मंत्रियों को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट नहीं किया है। उन बड़े नामों में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (गुजरात), शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) (मध्य प्रदेश), और कनिष्ठ आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर (कर्नाटक) शामिल हैं। इसके अलावा पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव (राजस्थान), और मत्स्य पालन मंत्री परषोत्तम रूपाला (गुजरात), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नारायण राणे और कनिष्ठ विदेश मंत्री वी मुरलीधरन का भी नाम शामिल हैं। ये दोनों मंत्री महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, सभी सातों मंत्रियों को विभिन्न राज्यों में लोकसभा चुनाव के दौरान अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से मैदान में उतारा जा सकता है। सूत्रों की मानें तो धर्मेंद्र प्रधान को उनके गृह राज्य ओडिशा में संबलपुर या ढेकनाल से मैदान में उतारा जा सकता है। वहीं भूपेंद्र यादव राजस्थान के अलवर या महेंद्रगढ़ से चुनाव लड़ाया जा सकता है।

चंद्रशेखर भी बेंगलुरु की चार सीटों में से एक पर चुनाव लड़ सकते हैं। इनमें से तीन – मध्य, उत्तर और दक्षिण पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है। इसी तरह मनसुख मंडाविया गुजरात के भावनगर या सूरत से चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि परषोत्तम रूपाला को राजकोट से टिकट दिया जा सकता है।


वहीं मुरलीधरन को उनके गृह राज्य केरल से मैदान में उतारा जा सकता है। जहां बीजेपी का कोई चुना हुआ प्रतिनिधि नहीं है। अपनी जमीन तलाशने के लिए बीजेपी केरल में लिए हाई-प्रोफाइल नामों पर विचार कर सकती है।

भाजपा ने बड़े नामों में राज्यसभा के लिए केवल दो केंद्रीय मंत्रियों को बरकरार रखा गया है। जिसमें रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (ओडिशा) और कनिष्ठ मत्स्य पालन मंत्री एल मुरुगन (मध्य प्रदेश) शामिल है। दो या दो से अधिक कार्यकाल पूरा कर चुके किसी भी निवर्तमान सांसद को दोबारा नहीं चुना गया है।

एकमात्र अपवाद पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा हैं। हालांकि उन्हें हिमाचल प्रदेश से स्थानांतरित कर दिया गया है। बीजेपी ने कुछ नए लोगों को भी जगह दी है, जिनमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी शामिल हैं। जो इस सप्ताह ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। 28 निवर्तमान राज्यसभा सांसदों में से केवल चार ने फिर से नामांकन किया है। शेष 24 से कथित तौर पर लोकसभा सीटों के लिए उनकी प्राथमिकता पूछी गई है।

पार्टी ने अप्रैल में खाली होने वाली 56 सीटों के लिए 28 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। जिसमें नए चेहरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है और अपने नेतृत्व ढांचे और मतदाताओं पर जोर दिया गया है। इसके अलावा सामाजिक समीकरणों को भी ध्यान में रखा जा रहा है। इसके अलावा भाजपा के तीन नए राज्यसभा सांसद धर्मशीला गुप्ता (बिहार), मेधा कुलकर्णी (महाराष्ट्र), और माया नारोलिया (मध्य प्रदेश) के चुना है। ये तीनों नाम महिला विंग से जुड़े हैं। महिला मतदाताओं को अपनी ओर जोड़ने के लिए इस रणनीति को बनाया गया है।

राज्यसभा और लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा की रणनीति पिछले साल नवंबर में हुए पांच विधानसभा चुनावों के दौरान ही देखने को मिली थी। जब पार्टी ने “सामूहिक नेतृत्व” और हाई-प्रोफाइल उम्मीदवारों के चयन पर ध्यान केंद्रित किया था। जिसमें राज्य के चुनावों के लिए लोकसभा सांसदों को मैदान में उतारा था। बीजेपी की ये रणनीति सफल भी रही थी। भाजपा मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता में आई।

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