विदेश

समय पर लॉकडाउन न लगाने पर बोरिस जॉनसन का हो रहा विरोध

लंदन। ब्रिटेश के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन(British Prime Minister Boris Johnson) एक बार फिर मुश्किल में हैं। सिर्फ दो हफ्ते पहले कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण रोकने के लिए अपने देश में तेज गति से कराए गए टीकाकरण(Vaccination) के कारण उनकी तारीफ के पुल बांधे जा रहे थे। लेकिन उसके बाद हुए कई मामलों के खुलासे और सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी (Conservative Party) में मतभेद की खबरों ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन(Prime Minister Boris Johnson) के सामने नई मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। उन पर यह आरोप लगा है कि इंग्लैंड में कोरोना महामारी के कारण मौतों की संख्या बढ़ने के बावजूद उन्होंने दूसरा लॉकडाउन लगाने में आनाकानी की थी।
मीडिया में बढ़ती आलोचना के बीच इसी हफ्ते जॉनसन को सार्वजनिक बयान जारी कर इस बात का खंडन करना पड़ा कि उन्होंने दूसरा लॉकडाउन लगाने में देर की। ये आरोप मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के बाद लगे। इसमें कहा गया कि पिछली अक्तूबर में जब महामारी का दूसरा दौर आया, तब जॉनसन ने कहा था कि हजारों लोगों की मौत भले हो जाए, लेकिन वे लॉकडाउन नहीं लगाएंगे। ये बात उन्होंने अपने आवास 10, डाउनिंग स्ट्रीट में हुई एक बैठक के दौरान कही थी।



सरकारी प्रवक्ताओं ने लगातार इस आरोप का खंडन किया है। उन्होंने ये ध्यान भी दिलाया है कि जनवरी में महामारी की तीसरी लहर का संकेत मिलते ही प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन लगा दिया। लेकिन ये मामला तूल पकड़ता गया है। मीडिया की टिप्पणियों में कहा गया है कि जिस देश में कोरोना महामारी के कारण एक लाख 27 हजार से ज्यादा लोग मर चुके हों, वहां प्रधानमंत्री के मुंह से ऐसी बात निकलना बेहद असंवेदनशील है। हालां‍कि कंजरवेटिव पार्टी के कई पदाधिकारियों ने भी इस रिपोर्ट को विश्वसनीय माना है।
इसी विवाद के बीच प्रधानमंत्री के इनर सर्किल के सदस्य रहे नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ने से बोरिस जॉनसन की मुश्किलें और बढ़ी हैं। डोमिनिक कमिंग्स कभी प्रधानमंत्री के अति विश्वस्त और उनके आधिकारिक सलाहकार थे। लेकिन पिछले नवंबर में उन्होंने अचानक खुद को सरकार से अलग कर लिया। पिछले हफ्ते उन्होंने एक लंबा ब्लॉग लिखा। उसमें उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया कि सरकार के बारे में लीक हुई जानकारियों के पीछे उनका हाथ है। इनमें लीक हुए एक एसएमएस का मामला भी है। संदेशों का ये आदान-प्रदान जॉनसन और उद्योगपति जेम्स डायसन के बीच हुआ था। इसमें जॉनसन ने कहा था कि अगर डायसन की कंपनी के सिंगापुर स्थित कर्मचारी वेंटिलेटर बनाने के लिए ब्रिटेन आ जाएं, तो उनके फायदे के लिए सरकार टैक्स ढांचे को बदल देगी।
अपने ब्लॉग पोस्ट में कमिंग्स ने इस आरोप का भी खंडन किया कि दूसरे लॉकडाउन के बारे में जॉनसन की टिप्पणी को उन्होंने लीक किया है। उलटे कमिंग्स ने आरोप लगाया कि इन जानकारियों के लीक होने के मामले की जांच प्रधानमंत्री ने इसलिए रुकवा दी, क्योंकि इसमें सवालों के घेरे में आया व्यक्ति जॉनसन की गर्लफ्रेंड कैरी साइमंड्स का करीबी है। कमिंग्स ने ये आरोप भी लगाया कि जॉनसन और साइमंड्स ने कंजरवेटिव पार्टी के लिए जुटाए गए चंदे का इस्तेमाल अपने घर को संवारने के लिए किया है। उन्होंने कहा कि इस बारे में उचित जानकारी ना देकर प्रधानमंत्री और उनकी गर्लफ्रेंड ने राजनीतिक चंदा संबंधी नियमों का उल्लंघन किया है।
हफ्ते भर से ये मामले ब्रिटिश मीडिया में चर्चित हैं। सरकार और कंजरवेटिव पार्टी को इस मामले में बचाव का रुख अपनाने पर मजबूर होना पड़ा है। इसी बीच कंजरवेटिव पार्टी के नेताओं पर लॉबिंग करने के इल्जाम भी लगे हैं। इन नेताओं में पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन भी हैं। कैमरन ने ये स्वीकार किया है कि उन्होंने वित्त मंत्री ऋषि सुनक से सीधे बात कर उन्हें उस बैंक के लिए कोरोना राहत कोष देने के लिए राजी किया था, जिसके लिए पहले वे काम करते थे।
इन आरोपों ने प्रधानमंत्री और सत्ताधारी पार्टी की छवि पर गहरे दाग लगा दिए हैं। ब्रिटेन में अगले छह मई को स्थानीय चुनाव होने हैं। इसके अलावा हाउस ऑफ कॉमन्स की एक खाली सीट के लिए उपचुनाव भी उसी रोज होगा। माना जा रहा है कि हालिया विवादों का इन चुनाव नतीजों पर असर पड़ सकता है। अगर सचमुच ऐसा हुआ, तो उसे प्रधानमंत्री जॉनसन के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका माना जाएगा।

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