
लंदन । कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता में हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप में काम आने वाली दवाएं पीड़ित लोगों के इलाज में कारगर हो सकती हैं। इनके इस्तेमाल से ना सिर्फ कोरोना से बचने की दर सुधर सकती है बल्कि संक्रमण की गंभीरता को भी कम किया जा सकता है। उक्त निष्कर्ष एक शोध में निकलकर सामने आए हैं।
ब्रिटेन की ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एंटीहाइपरटेंसिव वर्ग की दवाओं का सेवन करने वाले करीब 28 हजार रोगियों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। ये दवाएं उच्च रक्तचाप के उपचार में इस्तेमाल की जाती हैं। करंट ऐथिरोस्क्लेरोसिस रिपोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, एंजियोटेंसिन-कंवर्टिग एंजाइम इंहिबिटर्स या एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स का सेवन करने वाले बीपी रोगियों में कोरोना के गंभीर संक्रमण और मौत का खतरा कम पाया गया।
ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता वासिलियोस वासिलियो ने कहा, ‘हम यह जानते हैं कि हृदय रोगियों में कोरोना संक्रमण के गंभीर होने का ज्यादा खतरा रहता है। हमने पाया कि करीब एक तिहाई उच्च रक्तचाप से पीड़ित कोरोना रोगी एसीईआइ या एआरबी दवाएं लेते हैं। ऐसा संक्रमण के बढ़ते खतरे के चलते हो सकता है।’ उन्होंने बताया, ‘हमारे अध्ययन की सबसे अहम बात यह है कि इन दवाओं के चलते कोरोना के गंभीर होने या मौत के खतरे का कोई साक्ष्य नहीं पाया गया।’ कोरोना महामारी के प्रारंभिक दौर में इन दवाओं के कारण संक्रमण के गंभीर होने का अंदेशा जताया गया था।
ज्ञातव्य हो कि दुनियाभर में कोरोना के दो करोड़ 36 लाख से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं और आठ लाख 11 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। अमेरिका इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां 57 लाख 56 हजार से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं और एक लाख 77 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। वहीं ब्राजील में 36 लाख से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं और एक लाख 15 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
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