विदेश

अमेरिका में मंदिर बनाने गए भारतीय मजदूरों के शोषण पर केस दर्ज

न्यूजर्सी। अमेरिका(America) के न्यूजर्सी(new Jersey) में एक संस्था पर हिंदू मंदिर(Hindu temple) बनाने के लिए भारत (India) से मजदूरों (laborers) को अवैध (Illegally) रूप से ले जाने और कम वेतन देने के आरोप में मुकदमा दायर(Case file) हुआ है। अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई (US Investigation Agency FBI) मामले की जांच कर रही है। मुकदमे में कहा गया है कि प्रतिदिन सिर्फ कुछ डॉलर का लालच देकर इन मजदूरों को लंबे समय तक काम के लिए मजबूर किया गया।
मुकदमे में बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण Bochsawasi Akshar Purushottam Swaminarayan (BAPS) नामक संस्था के हिंदू नेताओं पर मानव तस्करी और वेतन कानून के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं।
एफबीआई के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि एजेंसी ने मामले की जांच शुरू कर दी है और अदालत के आदेश पर उसके अधिकारी 11 मई को मंदिर गए थे। मुकदमा दायर करने वाले वकीलों में से एक ने बताया कि मंगलवार को ही कुछ श्रमिक मंदिर से हटा लिए गए।



बीएपीएस पर आरोप है कि उसने 200 से भी ज्यादा दलित श्रमिकों से जबरन भारत में ही रोजगार समझौतों पर हस्ताक्षर करवाए। इनमें से अधिकांश को अंग्रेजी नहीं आती है। उन्हें अमेरिकी शहर न्यूजर्सी में आर-1 वीजा पर लाया गया जो धार्मिक कार्यों से जुड़े लोगों के लिए होता है। श्रमिकों के यहां पहुंचने पर उनके पासपोर्ट ले लिए गए और मंदिर में सुबह 6.30 से शाम 7.30 बजे तक काम करवाया गया।
भारत से न्यूजर्सी प्रांत लाए गए मजदूरों को 450 डॉलर के करीब मासिक वेतन दिया जाता था जो मुकदमे में दी गई जानकारी के मुताबिक सिर्फ 1.20 डॉलर प्रति घंटे के बराबर था। इन मजदूरों को छुट्टियां भी बहुत कम दी जाती थीं। इनमें से भी कुछ श्रमिक ऐसे थे जिन्हें महीने में सिर्फ 50 डॉलर नगद दिए जाते थे और बाकी रकम उनके भारतीय बैंक खातों में जमा करा दी जाती।
मुकदमे में कई श्रमिकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील डेनियल वर्नर ने कहा कि यह काफी स्तब्ध कर देने वाला है। ऐसा हमारी नाक के नीचे हो रहा है, यह और भी हैरत में डालने वाला है। इससे भी ज्यादा अशांत करने वाली बात यह है कि ऐसा सालों से न्यूजर्सी में मंदिर की दीवारों के पीछे हो रहा था।
वकील डेनियल वर्नर ने यह भी बताया कि कुछ श्रमिक वहां एक साल, कुछ दो साल तो कुछ उससे भी ज्यादा समय से थे। ये मजदूर बीएपीएस के किसी व्यक्ति को साथ लिए बिना इस परिसर से बाहर तक नहीं निकल सकते थे।
सुरक्षाकर्मियों और कैमरों के जरिये उनकी गतिविधि पर नजर रखी जाती थी। उन्हें बताया गया था कि अगर वो वहां से निकले तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी क्योंकि उनके पास पासपोर्ट नहीं थे।
मुकदमे में बीएपीएस के सीईओ कनु पटेल को आरोपी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि मैं आदरपूर्वक वेतन वाले दावे से असहमति व्यक्त करता हूं। संस्था के एक प्रवक्ता मैथ्यू फ्रैंकेल ने बताया कि हम इन आरोपों को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और उठाए गए मुद्दों की गहराई से समीक्षा कर रहे हैं।
मालूम हो कि इटैलियन व भारतीय संगमरमर से बना यह मंदिर न्यूजर्सी की राजधानी ट्रेंटन के बाहर रोब्बिंसविल में मौजूद है। यह मंदिर करीब 162 एकड़ में फैला हुआ है। बीएपीएस हिंदू धर्म के तहत एक वैश्विक संप्रदाय का दावा करता है जिसकी स्थापना 20वीं सदी की शुरुआत में ही हुई थी। संस्था का दावा है की इसने 1100 से भी ज्यादा बड़े मंदिरों का निर्माण करवाया है। रोब्बिंसविल मंदिर का निर्माण 2010 में शुरू हुआ था।

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