चले थे सरमायदार बनने, सर ही मुंडाकर चले आए… जिस नीतीश ने बीड़ा उठाया, उसने ही बेड़ा गर्क कराया…बदनसीब विपक्ष के नसीब ने फिर धोखा खाया… कलदार की जोड़-तोड़ में लगे थे…चवन्नी ही बिखर गई…होना ही यह था…एकजुट हो जाते तो भी सर फुड़वाकर आते…चंद महीनों में ही नीतीश ने भांप लिया कि वो मेंढकों […]
खरी-खरी
एक सिकंदर… घर के अंदर…
18 वर्षों की सत्ता के मुखिया का 18 दिनों में पराभाव… शिवराजजी का गम यह है कि जो लोग उनके आगे-पीछे घूमते थे…उनके पैरों में शीश नवाते थे…उन्हें सर-माथे पर बिठाते थे…उनकी जय-जयकार के नारे लगाते थे… बैनर-पोस्टरों में वो ही नजर आते थे…आज उनका चेहरा तो चेहरा, नाम तक गायब हो गया…सालों का मुखिया […]
यह है भारत की ताकत.., अपमान बदला सम्मान मेें
ऐसा मुखिया कहां से लाओगे…ऐसा नेतृत्व कहां से पाओगे, जिसके अपमान पर एक देश में तीन मंत्री हटा दिए जाते हैं …जिसके गुणगान पर बांग्लादेश में सत्ता के सितारे जगमगा जाते हैं… एक ही समय में हुए यह दो वाकये पूरी दुनिया में भारत की शक्ति का प्रमाण बन जाते हैं…हमारे देश के विपक्षी नेता […]
सच कहें तो… इंदौर को इस बार नहीं मिलना चाहिए स्वच्छता का सातवां पुरस्कार…
अहंकार के विकार में डूब चुका है यह शहर… यहां की व्यवस्था… यहां के अधिकारी…. लगातार पुरस्कार से उपजी लापरवाही शहर को कबाड़ बनाती जा रही है… चारों ओर गंदगी फैलने लगी… सफाई मित्र उदासीन होने लगे… सडक़ों पर कचरे के ढेर लगने लगे… केवल अंक बटोरकर आगे पाठ पीछे सपाट जैसी स्थितियों से गुजरता […]
चुनौतियों के पर्वत पर कैलाश की संजीवनी
दूसरी बार प्रदेश के नगरीय निकायों और आवास मंत्रालय के मुखिया बने जन-जन के नेता कैलाश विजयवर्गीय को जन-जन से जुड़ा विभाग मिला है… पार्षद, महापौर से लेकर मंत्री बने कैलाशजी में लोगों की मुश्किलों का एहसास भी है तो काम लेने की तकनीक भी है… अनुभवों का सैलाब है तो सोच का समंदर भी […]
राज की नई नीति… अगड़े हो गए पिछड़े और पिछड़े शिरोधार्य
हम हिन्दू-मुस्लिम में उलझे पड़े हैं और यहां और एक बड़ा जाति वर्गभेद पैदा होता जा रहा है… आरक्षण से जूझती सामान्य वर्ग की प्रतिभाओं के लिए अब राजनीति के दरवाजे भी बंद होते जा रहे हैं… उप्र में मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने जब पिछड़ों को जोड़कर सत्ता हासिल की, तभी से सभी […]
यह साजिश है या जीने की ख्वाहिश
अब तो जागो सोने वालों… आजादी के बाद गुलामी की कशमकश… देश शिखर पर है और जिंदगियां पाताल में… क्यों कूदना पड़ा उन नौजवानों को गूंगे-बहरे और अंधे सांसदों के बीच… जिंदगी की कशमकश से जूझते वो नौजवान भी या तो खुदकुशी कर लेते या जिंदगी की जंग लड़ते… कोई बेरोजगार है तो कोई भ्रष्टाचार […]
खरी-खरी,…..राजेश चेलावत
सोच से आगे और आगे की सोच… घर को सशक्त बनाना… पिछड़ों को सामर्थ्य का अहसास कराना और उन्हें समाज में समकक्ष बनाना… यह कल्पना हो सकती है, लेकिन इस कल्पना को तभी साकार किया जा सकता है जब घर मजबूत हो और उससे ज्यादा मजबूत घर का मुखिया हो… जो सोच से आगे और […]
होशियार शिवराज… पहले खुद ने खुद को चुनाव का चेहरा बना लिया… फिर बड़े-बड़ों को छोटा कर अपना सिक्का चला दिया…
चुनाव से पहले चकल्लस… मुझे चुनाव लडऩा चाहिए या नहीं… मुझे मुख्यमंत्री रहना चाहिए या नहीं…मैं नहीं रहूंगा तो बहुत याद आऊंगा… जैसे डायलाग बोलकर जनता की संवेदनाएं लूटने वाले शिवराजसिंह चौहान ने पार्टी को ठेंगा दिखाकर न केवल खुद को चुनाव का चेहरा बना लिया, बल्कि आखिरी सूची में अपने सारे मंत्रियों और समर्थकों […]
अंधेरे में तीर… दोनों ही दल मीर…
एक सप्ताह के लिए दोनों ही दलों की सरकार… न नतीजों की दरकार और न मतगणना का इंतजार… कमलनाथजी कमलछाप अधिकारियों की सूचियां बनवा रहे हैं… शिवराजजी तंत्र-मंत्र, पूजा-अनुष्ठान… प्रभाव-दबाव का इस्तेमाल कर अपनी कुर्सी पक्की करने की जुगाड़ लगा रहे हैं… दोनों ही दलों के नेता सवा सौ पार के नारे लगा रहे हैं… […]