खरी-खरी

अंधेरे में तीर… दोनों ही दल मीर…

एक सप्ताह के लिए दोनों ही दलों की सरकार… न नतीजों की दरकार और न मतगणना का इंतजार… कमलनाथजी कमलछाप अधिकारियों की सूचियां बनवा रहे हैं… शिवराजजी तंत्र-मंत्र, पूजा-अनुष्ठान… प्रभाव-दबाव का इस्तेमाल कर अपनी कुर्सी पक्की करने की जुगाड़ लगा रहे हैं… दोनों ही दलों के नेता सवा सौ पार के नारे लगा रहे हैं… […]

खरी-खरी

प्रदेश की चाबी आज हमारे पास… कल से हम उनके हाथ…

मतदान ही नहीं करें… मत का मान भी रखेंं… एक बड़ा दिन, जब सबकुछ हमारे हाथ है… हमारे साथ है… अपने पास है… आज दो चयन करना हैं… प्रदेश में सत्ता किसकी हो और हमारे इलाके का खैरख्वाह किसे बनाएं… किसे प्रदेश की चाबी थमाएं और किसे घर बिठाएं… हर कोई गाने गा रहा है, […]

खरी-खरी

गरीबों की जाति किसने बनाई, इस जाति की बदौलत ही तो नेताओं ने सत्ता पाई

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा…इस देश में गरीब ही सबसे बड़ी जाति है… सही है… लेकिन इससे बड़ा सच यह है कि इस जाति का शोषण हर राजनीतिक दल ने किया…कोई मुफ्त अनाज का टुकड़ा डालता है…कोई लाड़ली बहना और नारी सम्मान के नाम पर खैरात बांटता है…कोई किसानों के कर्ज माफ करने की उदारता दिखाता […]

खरी-खरी

रामगढ़ (मध्यप्रदेश) की शोले, ठाकुर के कटे हाथ… जय-वीरू करें उत्पात… गब्बर और बर्बर होगा… नई शोले का सस्पेंस बदला-सा होगा…

अभी तक तो दिग्गी-नाथ खुद को जय-वीरू कह रहे थे, अब तोमर ने भी उनकी और शिवराज की जोड़ी को जय-वीरू बता डाला… अब आलम यह है कि इधर भी जय-वीरू, उधर भी जय-वीरू… बीच में फंसी मौसी….बसंती, यानी सत्ता का रिश्ता पक्का करने आए एक नहीं, बल्कि दो-दो जय-वीरू मौसी को समझा रहे हैं… […]

खरी-खरी

जो निपटे हुए हैं उन्हें कितना निपटाओगे… अब बारी उनकी है, कैसे बच पाओगे…

बेचारे अधिकारी नाथ आएं तो धमकाएं… शाह आएं तो चमकाएं… दोनों ही पढ़े-लिखों की नस्ल को समझ नहीं पाएं… बदरा दिखते ही मौसम का अनुमान लगाएं… जो सत्ता पाए उसके हो जाएं… इतने दिनों तक कांग्रेस अधिकारियों को धमका रही थी… दिग्गी हों या नाथ दोनों ही धमकियां-चेतावनी दिए जा रहे थे, लेकिन अब भाजपा […]

खरी-खरी

काश… हम रावण जैसे मानव बन पाते… जिसके मोक्ष के लिए भगवान धरती पर आते…

रावण नहीं होता तो राम कैसे पूजे जाते… मानव से भगवान कैसे बन पाते… शिव भी रावण-सा परम भक्त कहां से पाते… जो एक बार नहीं दस बार अपने शिश काटकर शिव को चढ़ाए…अपनी आंतों को निकालकर माला बनाए…तप की उस इंतहा तक पहुंच जाए कि शिव खुद अवतरित होकर अमरत्व प्रदान करने पर विवश […]

खरी-खरी

यह कांग्रेस है… यहां अपने अपनों से लड़ते हैं… इसीलिए नेता जनता की परवाह करते रहते हैं…

यह कांग्रेस का अनुशासन है, जहां स्वयं का स्वयं पर शासन है… जहां हर व्यक्ति शासक है और हर व्यक्ति नेतृत्व है… जहां जुबान दिल से चलती है… जहां जुबान पर लगाम नहीं रहती है… जो दिल में आया कह दिया… मंच मिला तो भी परहेज नहीं किया… जंग का रंग सार्वजनिक भी हो जाता […]

खरी-खरी

जनता नहीं जागीर हो गई… लडेंगे तो हम लड़ेंगे नहीं तो बिकेंगे या बगावत करेंगे

टिकट नहीं हो गया जागीर हो गई… लड़ेंगे तो हम ही लड़ेंगे… वरना बगावत करेंगे… भले ही वजूद मिट गया हो… जनता नकार चुकी हो… लगातार हार रहे हों या उम्रदराज हो चुके हों… पार्टी पर बोझ बन चुके हों… फिर भी पार्टी उन्हें ढोती रहे और वो बेशर्मों की तरह चुनाव में अपना चेहरे […]

खरी-खरी

शिव की महिमा निराली… बुझे हुए चिरागों में कर्ज के घी से जान डाली…

ऐलान-ए-जंग… अब जमेगा रंग… चार किस्तों में प्रत्याशियों को मैदान में उतार चुकी भाजपा के मुकाबले कांग्रेस ने कल अपनी पहली सूची घोषित कर अखाड़ा सजाया है… भाजपा ने जहां कई बल्लम मैदान में उतारे, वहीं कांग्रेस ने पुराने अपनों पर भरोसा जताया है… भाजपा के पास जहां विकास का विश्वास है, वहीं कांग्रेस को […]

खरी-खरी

आरक्षण देकर महिलाओं को सत्ता में लाओगे…पर पुरुष पतियों से उनका पीछा कैसे छुड़ाओगे…

महिला आरक्षण से ज्यादा जरूरी है पुरुष पतियों से संरक्षण महिला आरक्षण… पुरुषों का भक्षण… कहां से लाएंगे इतनी नेत्रियां… महिलाएं राजनीति में तो आएंगी, लेकिन सत्ता पतियों की हो जाएगी… कहने-सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन भारतीय संस्कृति और सामाजिक परम्पराओं में यह सब कहां चलता है… आज भी महिलाओं का बाहरी सरोकार सीमित […]