खरी-खरी

नए युग के इस रावण को कौन समझाए…जो अपनी लंका के दहन के लिए राम के सनातन को ललकारने चला आए…

नादान क्या समझे सनातन को… सनातन की सोच को…सनातन के मान और सम्मान को… यह केवल धर्म नहीं मानवता का मर्म है… यह हजारों साल की पवित्रता…संस्कृति और संस्कार का संगम है…यह राम की मर्यादा है तो कृष्ण का स्वरूप है…यह आस्थाओं का चिंतन है तो शक्ति है का सामथ्र्य है… यह शिव का साक्षात्कार […]

खरी-खरी

सच कहते हैं…पर सपने में रहते हैं

मोदीजी…जो आपका कहना है… वो लगता केवल सपना है… आप कहते हैं भारत 25 साल बाद विकसित राष्ट्र बन जाएगा और विकसित भारत से भ्रष्टाचार, जातिवाद और संप्रदायवाद मिट जाएगा… लेकिन हकीकत तो यह है कि यह देश विकास की इस शर्त को कभी पूरा नहीं कर पाएगा, क्योंकि इस देश की रग-रग में भ्रष्टाचार […]

खरी-खरी

चिल्लर को चाहिए रुपए का मान… जिनको नहीं है हैसियत का भान, वो क्या देश को देंगे परिणाम…

28 चवन्नी का 1 रुपया…है ना हिसाब में गड़बड़… मगर इंडिया (नाम) हड़पने वाले एक पैसे और दो पैसे की हैसियत रखने वाले दल भी अपने आप को चवन्नी मान रहे हैं और रुपया बना रहे हैं… और आप और हम मान रहे हैं कि जब यह रुपया बाजार में जाएगा तो यह तय है […]

खरी-खरी

पूरा विपक्ष करे पुकार…आ बैल मुझे मार

विनाश काले विपक्ष बुद्धि…अभी तो झुंड बनाया था…अभी तो विपरीत दिशाओं के अलग-अलग मिजाजों के अहंकार के विकार में डूबे लोगों ने डूबते भविष्य से किनारा पाने के लिए मोदी जैसे विशाल जीव से टकराने और अपना अस्तित्व बचाने के लिए एकजुटता का हाथ थामा था… अभी तो इंडिया का नामकरण चुराया था… अभी तो […]

खरी-खरी

उस आग को कौन बुझाए… जब इंसान नफरत में बंट जाए…

मौत का मणिपुर… आप दिल में आक्रोश जगाएं या इसे अपने मन की पीड़ा बताएं, लेकिन प्रधानमंत्रीजी आप इस सच को जरूर पचाएं कि जब इंसान नफरत में बंट जाता है… इंसान ही इंसानियत का दुश्मन बन जाता है… हर सवाल का जवाब मौत में ढूंढने लग जाता है… कत्ल को समाधान मानकर हैवानियत की […]

खरी-खरी

गैरों पे करम… अपनों पे सितम…कब तक करते रहेंगे ऐसा जुलम

केवल सरकार के लिए ऐसा वाहियात संग्राम… जिनका न दीन है न ईमान…न जिन पर जनता है मेहरबान, उन्हें गले लगा रहे हो…जिन्होंने वर्षों साथ निभाया…भविष्य का सपना सजाया…बचपन से लेकर जवानी तक को खपाया… बुढ़ापे में भी अरमानों को नहीं गंवाया, उन्हें हिकारत देकर जीवनभर गालियां देने वाले, अपमान करने वाले, लांछन के हर […]

खरी-खरी

नफरत का मणिपुर…इंसानियत का श्मशान…

यह होता है फितरत का नतीजा… अलगाव का जहर….जात-पांत का संघर्ष… वहां मौत बिखरी पड़ी है…लाशों के ढेर लगे हैं…जीवन सूना हो चुका है…कुछ भी अपना नहीं बचा…न घर रहा न जमीन…न कारोबार बचा और न रोजगार…यह हालत है इस भारत देश की चमकती-दमकती मणि, यानी मणिपुर की…लोग वीरानों में टेंट-तंबू में जागते हुए रात […]

खरी-खरी

बुझे हुए चिरागों को जलाकर रोशनी कहां पाओगे… जो अपने है उन्हें भी झुलसाओगे…

चुनाव आते ही शुरू हो गया चुनावी पतझड़…कोई आ रहा है, कोई जा रहा है…लेकिन वही आ रहा है और वही जा रहा है, जो अपना वजूद मिटा चुका है…धूप की तपन में झुलसा चुका है… पेड़ की शाख ने जिसे ठुकरा दिया… धूल में जिसने अपने वजूद को मिटा दिया… आबोहवा जिसके साथ नहीं […]

खरी-खरी

जो है बिकाऊ कैसे बनेंगे जिताऊ

क्रिकेट को बाजार बनाओगे…खिलाडिय़ों की खुलेआम बोलियां लगवाओगे… क्रिकेटरों को खरीदने-बेचने लग जाओगे…जांबाज खिलाडिय़ों को मैदानों में सड़ाओगे और देश के लिए थकाऊ और बिकाऊ खिलाडिय़ों को खिलाओगे तो जीत कैसे पाओगे…यह विश्वासघात ही नहीं, क्रिकेट प्रेमियों पर आघात भी है… हमने अपने पारंपरिक खेल फुटबॉल, बेसबॉल, खो-खो, कबड्डी सभी को तो खो दिया…केवल एक […]

खरी-खरी

पिंजरे के पंछी रे… तेरा दरद न जाने कोय…

पिंजरे के पंछी रे… तेरा दरद न जाने कोय… बुरा तुम देखो… बुरा तुम सुनो… पर बुरा मत कहो… छोटा सा ही तो परिवर्तन है… गांधी के तीन बंदरों को सिखाई सीख में… अब सुनना भी पड़ेगा… सहना भी पड़ेगा… पर खामोश रहना पड़ेगा… ऐसे ही खामोशी की घुटन ज्वालामुखी बनाती है और जब फूटने […]