खरी-खरी

बचपन की गलती पचपन तक सजा देती है… जिंदगी है, यह तो हर घड़ी इम्तिहान लेती है…

जब नादानी परेशानी बन जाती है…गलतियां माफ नहीं हो पाती हैं…फिर अहंकार की सजा तो बचपन से लेकर पचपन की उम्र में भी पीछा नहीं छोड़ पाती है…फिर वो रावण हो या राहुल…इम्तिहान की घड़ी तो सबके जीवन में आती है…दस साल पहले सरकार ने जो अध्यादेश बनाया… भविष्य को सोचकर जिसे ढाल बनाया…स्वयं पर आने वाली आपदा को रोकने का प्रबंध जुटाया…उसे फाडक़र राहुल गांधी ने अहंकार जताया था…केवल गांधी परिवार का होने और स्वयं का वजूद साबित करने का अहंकार दिखाया था…अपरिपक्वता और नादानी का चेहरा तब ही लोगों की समझ में आ गया था…सरकार खुद की थी…प्रधानमंत्री तक कठपुतली थे…सहयोगी दल भी सारे के सारे भोगी थे…चाहते तो पहले समझने, फिर अपनी समझ जताते मान जाते या अपनी समझ समझाने में कामयाब हो जाते तो अध्यादेश सरकार से ही वापस करवा देते, लेकिन राहुल का बचपना अहंकार के चरम पर जाकर स्वयं की लंका के दहन के अपराधी बन गए और आज अपनी जुबानी फिसलन की वजह से अपने परिचय की मोहताजी, संसद की सदस्यता और चुनाव की योग्यता जैसी मुश्किल से जूझने को मजबूर हैं…राहुल के बचपन का अहंकार न पचपन की उम्र में गया और न उनके मिजाज में गंभीरता आई…राम को तुच्छ समझने की जो गलती रावण ने की थी वही राहुल दोहरा रहे हैं…मोदीजी को चोर कहकर अपना ही मान घटा रहे हैं, क्योंकि मोदी तानाशाह हो सकते हैं, लेकिन उन पर चोरी के इल्जाम नहीं लग सकते हैं…मोदीजी मगरूर हो सकते हैं, लेकिन देश को लूटने जैसे आरोप उन पर नहीं लग सकते हैं…मोदीजी दुश्मनों के लिए जालिम और जल्लाद हो सकते हैं, लेकिन उन पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लग सकते…उन पर उंगली उठाने, इल्जाम लगाने, उन्हें अपराधी बनाने के पहले मुद्दों को लेकर किसी भी राजनीतिक दल के नेता को हजार बार इसलिए सोचना पड़ेगा, क्योंकि वो करोड़ों हिंदुस्तानियों के दिलों का अभिमान बन चुके हैं…राष्ट्र गौरव की मिसाल बन चुके हैं… देश की अस्मिता का इतिहास लिख चुके हैं…प्रहार उनकी नीति पर हो सकता है, नीयत पर नहीं…आक्षेप उनकी सोच पर लग सकता है, समझ पर नहीं…विरोधियों के लिए यह परीक्षा की घड़ी है…उन्हें मजबूत बनना पड़ेगा, मगरूर नहीं… उन्हें एकता दिखाना पड़ेगी, ढोंग नहीं…भाजपा आज जहां खड़ी है वहां कभी कांग्रेस होती थी और आज मोदी जहां खड़े हैं वहां कभी गांधी, नेहरू और इंदिराजी हुआ करती थीं… इस तिलस्म को तोडऩे के लिए एक युग लगेगा, जब लोग कहेंगे कि हमें विकल्प चाहिए, लेकिन यह तभी होगा जब कांग्रेस में कोई गांधी, नेहरू जैसा बनेगा और मोदी जैसा सत्ता से हटेगा… इसलिए विपक्ष को इस सच का इकरार भी करना पड़ेगा और इंतजार भी करना पड़ेगा…

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