नई दिल्ली (New Delhi) । चीन (China) ने 2017 में डोकलाम (Doklam) में भारत (India) के हाथों करारी हार चखने के बाद से ही उन इलाकों में काम को तेज कर दिया था, जहां तक भारत ने उसे सीमित कर दिया था. यानी तोरसा नाले के आगे चीन को सड़क बनाने से रोका गया था, लेकिन मौजूदा विवाद के दौरान ही चीन ने डोकलाम में भी अपनी तैयारियों को बढ़ाया है. तोरसा नाला के अब उस इलाके में भी चीन अपने डिफेंस को पक्का कर रहा है. इतना ही नहीं अब तो चीन के पीएलए ने अपने आर्मड ब्रिगेड की तैनाती भी डोकलाम के इलाके में कर दी है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक़ नई CAB के तहत फिलहाल 1200 सैनिकों की तैनाती की गई है.
फिलहाल उस इलाके में चीन के पीएलए की मौजूदा तादाद 8 हजार से ज़्यादा है. चौंकाने वाली बात तो यह है कि चीन एलएसी के क़रीब अपने फॉरेमशन में जबरदस्त बदलाव कर रहा है. डोकलाम से पहले भी चीन के पीएलए ने शिंजियान मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट में पीएलए की चार डिविजन, 4th मैकेनाइज इंफ़ैंट्री और 6, 8 और 11 मोटेराइजड इंफ़ैंट्री डिविजन को कंबाइंड आर्मड ब्रिगेड़ में तब्दील कर दिया था यानी की चीन ने अपनी कांबेट और फायर पावर को मजबूत करने के मकस्द से यह तबदीली की है.
डिफेंज में बदलाव कर रहा चीन
डोकलाम में भी इसी तरह से मैकइंफ़ैंट्री के साथ-साथ एयर डिफेंस, लॉजेस्टक में जबरदस्त बढ़ोतरी कर दी. अगर कंबाइंड आर्म ब्रिगेड़ की बात करें तो इसमें 4 कंबाइंड आर्म बटालियन, रेकानेन्स बटालियन , आर्टेलरी टैंक बटालियन, एयर डिफ़ेंस बटालियन, कॉबेट सपोर्ट बटालियन और कॉबेट सर्विस बटालियन शामिल है. जानकारों की मानें तो चीन का इस बदलाव के पीछे की सबसे बड़ी वजह है भरतीय सेना के साथ हाइ ऑलटेट्यूड एरिया में भविष्य की लड़ाई के लिए खुद को तैयार करना है. चीन ने डोकलाम में अपना सर्विलांस सिस्टम मजबूत किया है. जानकारी के मुताबिक डोकलाम में चीन ने भारतीय सेना पर निगरानी रखने के लिए दो खास सर्विलांस सिस्टम लगाए हैं. साथ हीसिंच-ला दर्रे के करीब हाई रेजुलेशन-कैमरा भी लगाया है, ताकि वो इस परे इलाके में भारतीय सेना की मूवमेंट को भी मॉनिटर कर सके.
चीन के कॉमबेट आर्मड ब्रिगेड की तैनाती की है तो भारत ने भी अपने इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप की बड़ी सैन्य अभ्यास सिलीगुड़ी कॉरेडोर के पास इसी जनवरी में की थी. ‘त्रिशक्ति प्रहार’ नाम का ये इंटीग्रेटेड अभ्यास जिसमें सभी तरह नए और पुराने हथियारों का इस्तेमाल किया गया. इस अभ्यास में वायुसेना के फाइटर रफाल, चिनूक हैलिकॉप्टर, T-90 टैंक , BMP-2 इंफ़ैंट्री कॉंबेट वेहिक्ल, मीडियम एंड फ़ील्ड आर्टेलरी गन, जिसमें मल्टी बैरल रॉकेट लॉंचर स्मर्च , पिनाका , बोफ़ोर्स , इंफ़ैंट्री मोर्टार , और न्यू जेनेरेशन के हथियार और उपकरण का फ़ायर पावर को परखा गया था. इस तरह के अभ्यास के पीछे की एक ही वजह है कि भारतीय सेना के अलग-अलग अंगों के बीच समन्वय, संतुलन और सहयोग को बढ़ाकर भविष्य में चीन के किसी भी दुस्साहस को कम समय पर ध्वस्त किया जा सके.
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