विदेश

जर्मनी में कोयला खदान के विस्तार के विरोध में जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग गिरफ्तार

बर्लिन (berlin) । जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Climate activist Greta Thunberg) को जर्मनी (Germany) के लुएत्जेरथ (Luetzerath) में एक कोयला खदान के विस्तार के विरोध में प्रदर्शन (protest) के दौरान मंगलवार को पुलिस ने हिरासत (custody) में ले लिया। पुलिस ने ग्रेटा के साथ अन्य जलवायु कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया। जर्मन पुलिस के हवाले से सीएनएन से संबद्ध एन टीवी ने यह सूचना दी। हालांकि, पुलिस का कहना है कि ग्रेटा थनबर्ग को थोड़ी देर हिरासत में रखने के बाद रिहा कर दिया गया।

गांव को उजाड़ने के विरोध में जलवायु कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन
पुलिस ने बताया कि कोयला खदान के विस्तार के लिए रास्ता बनाने के लिए लुएत्जेरथ गांव को उजाड़ने के विरोध में जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को अन्य कार्यकर्ताओं के साथ हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने चेतावनी दी थी कि अगर कार्यकर्ता समूह खदान के किनारे से नहीं हटे तो उन्हें बलपूर्वक हटा दिया जाएगा।

जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए ने बताया कि यूरोपीय ऊर्जा कंपनी आरडब्ल्यूई (RWE) के स्वामित्व वाली गार्जवीलर लिग्नाइट कोल माइन (Garzweiler lignite coal mine) के कोयला खदान के विस्तार के लिए रास्ता बनाने के लिए एक गांव को उजाड़ने के खिलाफ सैकड़ों जलवायु कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को पश्चिमी जर्मनी में अपना प्रदर्शन फिर से शुरू किया। गांव से लोगों के निष्कासन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद आरडब्ल्यूई ने गांव के चारों ओर 1.5 किलोमीटर की परिधि में बाड़ बनाने की योजना बनाई है, ताकी गांव की इमारतों, गलियों और सीवरों को ध्वस्त करने से पहले गांव को पूरी तरह सील कर दिया जाए।


आरडब्ल्यूई का सरकार के साथ समझौता
जर्मनी के पश्चिमी राज्य उत्तरी राइन-वेस्टफेलिया के एक गांव को खदान के विस्तार की अनुमति देने के लिए साफ किया जा रहा है। खदान के मालिक आरडब्ल्यूई का सरकार के साथ समझौता हुआ है कि कोयले को तेजी से बाहर निकलने और मूल रूप से विनाश के लिए निर्धारित पांच गांवों को बचाने के बदले में वह लुएत्जेरथ गांव को ध्वस्त कर सकता है। यह प्रदर्शन दो दिनों के बाद फिर शुरू हुआ जब गांव के नीचे एक सुरंग में छिपे अंतिम दो कार्यकर्ताओं को साइट से हटा दिया गया।

नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार पर ध्यान देना चाहिए: जलवायु कार्यकर्ता
जलवायु कार्यकर्ताओं का कहना है कि जर्मनी को और अधिक लिग्नाइट या भूरे कोयले का खनन नहीं करना चाहिए, बल्कि इसके बजाय नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार पर ध्यान देना चाहिए। बुलडोजरों के साथ आए पुलिस ने पिछले सप्ताह इस गांव की इमारतों से कार्यकर्ताओं को हटा दिया था और गांव को पूरी तरह सील कर दिया गया था। सड़कों से प्रतिरोधकों को हटा दिया गया और ट्रीहाउस और इमारतों पर बुलडोजर चला दिया गया था। पिछले सप्ताह के अंत तक कुछ ही कार्यकर्ता ट्रीहाउस और एक भूमिगत सुरंग में बचे थे। लेकिन थनबर्ग सहित अन्य प्रदर्शनकारी मंगलवार को धरने पर बैठ गए।

यह है जलवायु कार्यकर्ताओं का तर्क
सीएनएन ने बताया कि कोयला खदान का विस्तार जलवायु कार्यकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है। उनका तर्क है कि ऊर्जा के लिए कोयले को जलाना जारी रखने से पृथ्वी के वार्मिंग उत्सर्जन में वृद्धि होगी और वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की पेरिस जलवायु समझौते की महत्वाकांक्षा का उल्लंघन होगा। लिग्नाइट सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला कोयला है, यह सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला जीवाश्म ईंधन है।

एक हजार से अधिक पुलिस अधिकारियों को बेदखली अभियान में शामिल किया गया है। गांव की अधिकांश इमारतों को अब साफ कर दिया गया है और खुदाई करने वाली मशीनों से उन्हें हटा दिया गया है। यूरो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रियों और ऊर्जा कंपनी आरडब्ल्यूई का कहना है कि खदान से निकलने वाला लिग्नाइट यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद जर्मनी की अल्पकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। वहीं, जलवायु कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कोयले का सबसे प्रदूषणकारी रूप है और वे चाहते हैं कि सरकार जीवाश्म ईंधन पर तत्काल कार्रवाई करे।

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