धार। मध्यप्रदेश की सत्ता (power of Madhya Pradesh) पाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने मालवा निमाड़ की 66 सीटों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। महाकाल लोक के लोकार्पण (inauguration of Mahakal Lok) के जरिए उज्जैन जिले सहित आसपास के जिलों के वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश की। अब वाग्देवी की प्रतिमा लाने का एलान कर धार जिले (Dhar district) की छह सीटों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में अब देखना है कि प्रदेश सरकार इस घोषणा को विधानसभा चुनाव के पहले पूरा करने में सफल होती है या नहीं।
सीएम शिवराज सिंह चौहान डेली कालेज के यंग थिंकर कॉन्क्लेव में शामिल होने पहुंचे थे। उन्होंने कहा, इग्लैंड से वाग्देवी की प्रतिमा भारत फिर से लाई जाएगी। इसके लिए हम प्रयास शुरू कर रहे हैं। दरअसल, इस आयोजन में अतिथियों को स्मृति चिन्ह के रूप में वाग्देवी की प्रतिमा की प्रतिकृति दी गई, जिसे देखने के बाद सीएम ने यह बयान दिया।
उनके इस बयान के राजनीति मायने भी निकाले जा रहे हैं, क्योंकि धार जिले में पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी नुकसान हुआ था। यहां की छह सीटों में से बीजेपी के खाते में एक ही सीट मिल पाई थी। बाद में उपचुनाव में बदनावर सीट बीजेपी में शामिल होने के बाद फिर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने जीती थी। सीएम की इस घोषणा से हिन्दू वोट बैंक को मजबूत करने की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है।
सीएम शिवराज ने कहा कि मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि (लंदन के संग्रहालय में रखी) वाग्देवी की प्रतिमा को भारत वापस लाने की पहल प्रभावी ढंग से प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध और दुनिया के अन्य टकरावों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि विश्व शांति की राह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (पूरा विश्व एक ही परिवार है) की भारतीय अवधारणा में निहित है।
साल 1875 में हुई खुदाई में वाग्देवी की प्रतिमा भोजशाला की खुदाई में मिली थी। बाद में अंग्रेज इस प्रतिमा को इग्लैंड लेकर चले गए थे। भोजशाला में हर साल वसंत पंचमी को पूजा होती है। कई बार संत समाज भी इस प्रतिमा को फिर भारत लाने की मांग कर चुका है, लेकिन इस दिशा में कभी ठोस प्रयास नहीं किए गए। भोजशाला में कई बार शुक्रवार को बसंत पंचमी आने के कारण तनाव पूर्ण स्थिति भी बन चुकी है। क्योंकि यहां मुस्लिम समाज नमाज के लोग नमाज भी पढ़ने आते हैं।
दोनों समुदायों के इस स्थान को लेकर अपने अपने दावे हैं। इस विवाद को आज तक सुलझाया नहीं जा सका है। भारत पुरातत्व विभाग यानी एएसआई की बरसों से जारी व्यवस्था के तहत हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार को इस जगह पर नमाज अदा करने की इजाजत है।
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