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कोरोना : कोवैक्सीन के असर पर उठे सवाल, भारत बायोटेक ने दी सफाई

नई दिल्ली । हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। इसके साथ ही कई सवाल भी उठने शुरू हो गए हैं।

दरअसल, अनिल विज नवम्बर में भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के तीसरे ट्रायल में शामिल होने वाले पहले वॉलंटियर थे। अब विज के कोरोना पॉजिटिव होने पर कोरोना वैक्सीन के असर को लेकर मामला गरमाने लगा है। हालांकि इस मामले में भारत बायोटेक ने बयान जारी कर कहा कि यह वैक्सीन दो बार दी जाती है। इसके दो डोज 28 दिन में देने होते हैं। दूसरी डोज 14 दिन बाद दी जानी है, जिसके बाद ही इसकी एफिकेसी यानी असर का पता चलता है।

कंपनी ने कहा कि कोवैक्सीन को इस तरह ही बनाया गया है कि दो डोज लेने के बाद ही यह असर दिखाएगी। शनिवार को जारी एक बयान में भारत बायोटेक ने कहा कि फेस तीन के ट्रायल में 50 फीसदी लोगों को वैक्सीन दी जाती है और 50 फीसदी लोगों को प्लेसिबो यानी नकली इंजेक्शन दिया जाता है। कोवैक्सीन पूरी तरह स्वदेशी वैक्सीन है, जिसका फेस तीन का ट्रायल 25 स्थानों पर किया जा रहा है। इस ट्रायल में 26,000 से ज्यादा लोग शामिल हैं। इसका उद्देश्य वैक्सीन के असर का पता लगाना है।

क्या होता है कि प्लेसिबो इफेक्ट
प्लेसिबो एक लैटिन शब्द है। पांचवी सदी में बाइबल के एक अंश में भी प्लेसिबो डॉमिनोज शब्द का इस्तेमाल किया गया था, जिसका अर्थ है ईश्वर पर भरोसा। प्लेसिबो इफेक्ट ऐसी ही एक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें रोगी को किसी दवा से नहीं बल्कि उसके विश्वास के आधार पर ठीक किया जाता है। इस प्रकार की चिकित्सा में डॉक्टर रोगी के मन में विश्वास पैदा करता है कि वह उसकी दवा से ठीक हो जाएगा लेकिन असल में इस उपचार में मरीज को कोई दवा दी ही नहीं जाती है।

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