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देश के विकास में तेजी लाने के लिए व्‍यापक सुधारों की जरूरत: आरबीआई

नई दिल्‍ली/मंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के बीच भारत को सतत विकास की राह पर लौटने के लिए गहरे और व्यापक सुधारों की जरूरत है। रिजर्व बैंक ने आगाह किया है कि इस महामारी की वजह से देश की संभावित वृद्धि दर की क्षमता नीचे आएगी।

रिजर्व बैंक ने जारी अपने ‘आकलन और संभावनाओं’ रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से ‘तोड़’ दिया है। भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था का आकार इस बात पर निर्भर करेगा कि इस महामारी का फैलाव कैसा रहता है। ये महामारी कब तक रहती है और कब तक इसके इलाज का टीका आता है। आरबीआई का ‘आकलन और संभावनाएं’ 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट का हिस्सा हैं।

दरअसल रिजर्व बैंक के मुताबिक एक बात जो उभरकर आ रही है। वह ये है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया बदल जाएगी और एक नया ’सामान्य’ सामने आएगा। आरबीआई ने कहा कि ‘महामारी के बाद के परिदृश्य में गहराई वाले और व्यापक सुधारों की जरूरत होगी। उत्पाद बाजार से लेकर वित्तीय बाजार, कानूनी ढांचे और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के मोर्चे पर व्यापक सुधारों की जरूरत होगी।

आरबीआई के मुताबिक तभी आप विकास दर में गिरावट से उबर सकते हैं और अर्थव्यवस्था को वृहद आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के साथ मजबूत और सतत वृद्धि की राह पर ले जा सकते हैं।’ रिजर्व बैंक ने कहा कि शेष दुनिया की तरह भारत में भी संभावित वृद्धि की संभावनाएं कमजोर होंगी। क्‍योंकि ‘कोविड-19 के बाद के परिदृश्य में प्रोत्साहन पैकेज और नियामकीय रियायतों से हासिल वृद्धि को बनाए रखना मुश्किल होगा, तब प्रोत्साहन हट जाएंगे।’

रिजर्व बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार भी कुछ अलग होगा। वैश्विक वित्तीय संकट कई साल की तेज वृद्धि और वृहद आर्थिक स्थिरता के बाद आया था। वहीं, कोविड-19 ने ऐसे वक्‍त अर्थव्यवस्था को झटका दिया है, जबकि पिछली कई तिमाहियों से यह सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रही थी।

वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान बैंकों में धोखाधड़ी के मामलों में 28 फीसदी की बढ़ोतरी

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान बैंकों और वित्तीय संस्‍थानों में धोखाधड़ी के मामलों में 28 फीसदी की वृद्धि हुई है।

आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक एक लाख या उससे अधिक की धोखाधड़ी के मामले, वित्तीय वर्ष 2018-19 में 6,799 थे, जो 2019-20 मैं बढ़कर 8,707 हो गए। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार ऐसे धोखाधड़ी के मामलों में 159 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।

गौरतलब है कि वित्तीय संस्थानों और बैंकों में धोखाधड़ी के कुल मामलों में से 50.7 फीसदी मामले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के थे। सभी धोखाधड़ी मामलों में शामिल राशि वित्तीय वर्ष 2018-9 में 71,543 करोड़ रुपये दर्ज की गई थी, जो 2019-20 मैं बढ़कर 1,85,644 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

इन धोखाधड़ी मामलों में शामिल कुल राशि में से 80 फीसदी यानी 1,48,400 करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के थे। निजी क्षेत्र के बैंकों में इस दौरान 3,066 धोखाधड़ी के मामलों को देखा, जिसका अनुपात 34,211 करोड़ रुपये था।

रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा धोखाधड़ी और उनके पता लगाने की तारीख के बीच औसत अंतराल 2019-20 के दौरान 24 महीने थी। आरबीआई ने कहा कि बड़े धोखाधड़ी में जिसमें शामिल राशि 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक है, जो औसत अंतराल 63 महीने थी। (एजेंसी, हि.स.)

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