नई दिल्ली । कृषि कानूनों (Farmers Law) के खिलाफ भारत बंद (Bharat Bandh) का असर पूरे देश में देखने को मिला है। यह एक दिन का बंद देशव्यापी बंद अर्थव्यवस्था (Economy) को बहुत पीछे ले जाता है। उद्योग संगठन कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (CII) के अनुमान की मानें तो एक दिन के भारत बंद से ही अर्थव्यवस्था को 25 से 30 हजार करोड़ रुपये का झटका लगता है।
सीआईआई (CII) का कहना है कि भारत बंद खत्म होने के बाद सेवाएं तो सुचारू हो जाती हैं, लेकिन बंद के दौरान जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई कभी नहीं हो पाती है। इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि अगर कोई होटल या रेस्टोरेंट एक दिन के लिए बंद रहा तो उसके उस दिन हुए नुकसान की भरपाई अगले दिन नहीं हो सकती। बंद के दिन की कमाई तो चली ही गई।
बतादें कि भारत में नागरिकों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने के लिए बंद का अधिकार है। संविधान की धारा 19 के तहत राइट टू प्रोटेस्ट (Right to Protest) का अधिकार मिला हुआ है। इसे इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट 1947 का भी सहारा मिलता है। साल 2012 में कांग्रेस ने एफडीआई (FDI) सुधार किया था। इसके विरोध में भाजपा ने भारत बंद का आह्वान किया था।
उस वक्त कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने भारत बंद को लेकर अर्थव्यवस्था को नुकसान का हवाला दिया था। तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भाजपा के भारत बंद पर कहा था कि इस आंदोलन से देश की अर्थव्यस्था को सिर्फ अधिक नुकसान ही होगा। उनका कहना था कि उस तरीके से विरोध नहीं करना चाहिए जिससे आर्थिक नुकसान हो।
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