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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में हालात की समीक्षा की


नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले इलाकों से चीन के सैनिकों के वापस जाने के मद्देनजर सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ स्थिति की समग्र समीक्षा की। सरकारी सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया तथा अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक में स्थिति की समीक्षा की।
सूत्रों ने बताया कि जनरल नरवणे ने गलवान घाटी, गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और पैगोंग सो के फिंगर 4 क्षेत्र से सैनिकों को हटाने के लिए बनी आपसी सहमति के पहले चरण के क्रियान्वयन का विस्तृत ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि सेना प्रमुख ने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए क्षेत्र में भारतीय सेना की अभियानगत तैयारियों (ऑपरेशनल प्रेपरेशंस) के बारे में रक्षा मंत्री को जानकारी दी और साथ ही पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात के अलावा अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम के सभी संवेदनशील इलाकों में मौजूदा स्थिति के बारे में भी उन्हें अवगत कराया।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सैनिकों को हटाने का पहला चरण पूरा होने वाला है। ऐसे में दोनों पक्ष अगले सप्ताह की शुरुआत में कमांडर स्तर की चौथे दौर की बातचीत के लिए तैयार हैं जिसमें दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा से सैनिकों को पीछे हटाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने अस्थायी कदम के तौर पर गतिरोध वाले तीन इलाकों- गलवान घाटी, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स में तीन किलोमीटर का बफर जोन बनाने का काम पूरा कर लिया है।
सूत्रों के मुताबिक अगले हफ्ते फिर से दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की मीटिंग होनी यह कोर कमांडर स्तर की चौथी मीटिंग होगी। इससे पहले 30 जून को कोर कमांडर स्तर की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में पैंगोंग एरिया पर डिसइंगेजमेंट की बात तो होगी ही, साथ ही सबसे अहम बात होगी सैनिकों की संख्या कम करने की। ईस्टर्न लद्दाख पर एलएसी के दोनों तरफ दोनों देशों ने हजारों की संख्या में सैनिक तैनात किए हैं जिन्हें पीछे करना असल टास्क है।
युद्ध स्तर की तैयारी के तहत भारी संख्या में सैनिक तो तैनात हैं ही साथ ही तोप, टैंक, मिसाइल, रॉकेट लॉन्चर, फाइटर जेट भी तैनात हैं। एलएसी के 3-4 किलोमीटर दूर ही तैनात तोपें 40 से 50 किलोमीटर तक निशाना साध सकती हैं। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि कोर कमांडर स्तर मीटिंग में इन्हें पीछे करने पर बात होगी। पहला चरण डिसइंगेजमेंट का था यानी आमने-सामने डटे सैनिक पीछे जाएं और बफर जोर बने।
दूसरा चरण डीएस्केलेशन का होगा, जिसमें यह तैनाती कम करने के लिए टाइमलाइन पर बात होगी। एक अधिकारी ने कहा कि अभी जो डिसइंगेजमेंट हुआ है यह बस छोटी चीज है। यह तो बस इसलिए किया गया है ताकि दोनों देशों के सैनिक एकदम आमने सामने ना रहें और फिर किसी हिंसक झड़प सी नौबत ना आए। भारी संख्या में तैनात सैनिकों को सामान्य स्थिति में लाने में कई महीनों का वक्त लग जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी डिपसांग एरिया में कोई बात नहीं हुई है क्योंकि यहां पर सैनिक आमने सामने नहीं है। यहां दोनों तरफ से सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई है। कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में यहां पर भी सैनिकों की बड़ी तैनाती कम करने पर बात होगी।

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