
नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस(Delhi Police) राजधानी में अवैध रूप(Invalid form) से रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों(Bangladeshi nationals) की पहचान कर उनके बायोमिट्रिक पहचान पत्र(Biometric ID Card) बना रही है। इसके बाद ही एफआरआरओ के माध्यम से उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस बीते तीन-चार माह से दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को ढूंढ़ने का अभियान चला रही है। अभी तक उनकी पहचान कर वापस भेजा जाता था तो वे दोबारा आ जाते थे। इनमें से कई तो फर्जी दस्तावेजों के सहारे भारतीय पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, वोटर कोर्ड और पासपोर्ट तक बनवा लेते थे। इसके बाद इनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता था।
बायोमेट्रिक में 8 जानकारी दर्ज होंगी : दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल पर यह नई कवायद शुरू हुई है। इसके तहत अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान होने के बाद इनकी फोटो खींची जाती है। रेटिना और फिंगर प्रिंट लिए जाते हैं। इसके अलावा कद, ब्लड ग्रुप, चेहरे पर निशान और रंग की भी जानकारी रहती है। फिलहाल, हर जिले के फॉरेनर्स सेल में यह सुविधा दी गई है। इस जानकारी को सीसीटीएनएस और आधार से जोड़ा गया है।
यह फायदा होगा
पुलिस अधिकारी ने बताया कि बायोमिट्रिक पहचान पत्र बनने के बाद इन्हें डिपोर्ट किया जा रहा है। अगर वे दोबारा अवैध तौर पर भारत में आएंगे तो पकड़े जाने पर पुलिस की जांच में सारा रिकॉर्ड सामने आ जाएगा। इसके अलावा देश में कहीं भी पकड़े जाने पर पुलिस को इनके फिंगर प्रिंट की जांच कराने के बाद पूरी पृष्ठभूमि का पता चल सकेगा।
दिल्ली में बीते हफ्ते पकड़े गए थे 13 बांग्लादेशी
भाषा के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने बीते सप्ताह ही बाहरी दिल्ली के औचंदी गांव से बिना वैध दस्तावेजों के रहने के आरोप में पांच नाबालिगों समेत 13 संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया था। पुलिस ने बताया कि हिरासत में लिये गये मोहम्मद रफीकुल (50), खोतेजा बेगम (41), मोहम्मद अनवर हुसैन (37), मोहम्मद अमीनुल इस्लाम (28), जोरिना बेगम (27), अफरोजा खातून (25), मोहम्मद खाखोन (20), हसना (19) और पांच नाबालिग बांग्लादेश के खुदीग्राम के रहने वाले हैं।
डीसीपी (क्राइम) आदित्य गौतम ने बताया, ‘‘यह अभियान इस विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर चलाया गया था कि ये बांग्लादेशी गांव में अपने लिए मकान तलाश रहे हैं। एक टीम ने 13 मई को जाल बिछाया और 13 लोगों को हिरासत में लिया।’’
उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान इन लोगों ने बांग्लादेशी नागरिक होने की बात कबूली और यह भी माना कि भारत में रहने के लिए उनके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि इन 13 लोगों ने यह भी खुलासा किया कि वे दो साल पहले जलील अहमद नामक एक बांग्लादेशी एजेंट की मदद से भारत में घुसे थे। पुलिस के मुताबिक, ये सभी 13 लोग अपने गांव से बस द्वारा भारत-बांग्लादेश सीमा तक पहुंचे और बिना बाड़ वाले खेतों से होते हुए भारतीय सीमा में दाखिल हुए थे।
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