
नई दिल्ली । राजस्थान हाई कोर्ट(Rajasthan High Court) ने हाल ही में उस याचिका को खारिज(dismissal of the petition) कर दिया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi), गृहमंत्री अमित शाह और तत्कालीन कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज(Murder case registered) करने की मांग की गई थी। 2019 पास किए गए संशोधित नागरिकता कानून (2019) को लेकर आरोप लगाते हुए अदालत में यह याचिका दाखिल की गई थी। जस्टिस सुदेश बंसल की बेंच ने ना सिर्फ याचिका खारिज कर दी बल्कि इसे दायर करने वाले वकील पूरण चंदेर सेन पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने हत्या या चोट पहुंचाने के आरोपों को मनमाना और गढ़ा हुआ बताते हुए कहा कि यदि देश के किसी हिस्से में ऐसी कोई घटनाएं हुई भी हों तो उनको नागरिकता संशोधन अधिनियम के पारित होने से संबंध जोड़ने का आधार नहीं है। अदालत ने कहा, ‘याचिकाकर्ता ने न तो किसी सूचना का स्रोत बताया है और न ही ऐसा विश्वास करने के अन्य आधार प्रस्तुत किए हैं।
जज ने कहा कि लगाए गए आरोप याचिकाकर्ता की अपनी धारणाएं, उसके पक्षपाती और विकृत मस्तिष्क की कल्पनाएं हैं। कोई भी विवेकशील व्यक्ति ऐसे मनमाने, हास्यास्पद और झूठे आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करने और जांच कराने की प्रार्थना नहीं कर सकता। आवेदन में कहीं यह उल्लेख नहीं है कि किन लोगों को चोटें आईं, कितने लोग मारे गए और ऐसी कथित घटनाए, यदि हुई भी हों, तो कहां हुईं।
साल 2020 में सेन ने अलवर जिले के गोविंदगढ़ थाने में एक आवेदन दिया था। इसमें उन्होंने पीएम मोदी, अमित शाह, और रविशंकर प्रसाद, कई पत्रकारों और कुछ दक्षिणपंथी समूहों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक साजिश) और अन्य प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। वकील ने आरोप लगाया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम भारत के संविधान की भावना के खिलाफ है और इसे मुसलमानों और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाले लोगों को दबाने के इरादे से लाया गया था। उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण पूरे देश में हिंसा हुई और कई लोग मारे गए या घायल हुए।
पुलिस ने केस दर्ज करने से मना किया तो वह मजिस्ट्रेट कोर्ट गए। वहां याचिका खारिज होने के बाद वह सेशंस कोर्ट गए और जब वहां भी निराशा हाथ लगी तो हाई कोर्ट का रुख किया था। हाई कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी और राजस्थान के एडवोकेट जनरल राजेंद्र प्रसाद ने याचिका का विरोध करते हुए दलीलें पेश कीं।
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