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CPI-Congress alliance में अभी भी पेच, सूची जारी नहीं होने से कार्यकर्ताओं में मायूसी

कोलकाता। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में आसन्न विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का विकल्प बनने का दावा भले ही माकपा-कांग्रेस और आईएसएफ गठबंधन (CPI-Congress Ans ISF alliance) कर रहे हैं लेकिन अभी भी इनके बीच सीट शेयरिंग को लेकर अंतिम सहमति नहीं बनी है। इसकी वजह से पहले और दूसरे चरण के लिए नामांकन की तिथि खात्मे के करीब बढ़ती जा रही है और अभी तक उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं हो सकी है। इसके कारण कार्यकर्ताओं के बीच मायूसी है और प्रचार-प्रसार नहीं हो पा रहा। इसके बाद इस तरह के पेच की वजह से माकपा और कांग्रेस के बीच मतभेद भी बढ़ने लगा है।

वाममोर्चा ने अपनी पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पर पिछले विधानसभा चुनाव की तरह कांग्रेस नदिया जिले में पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहती हैं। कांग्रेस के नदिया जिलाध्यक्ष असीम कुमार साहा का कहना है कि पिछली बार की जीती हुई और जहां उनके पार्टी प्रत्याशी दूसरे स्थान थे उन सभी सीटों पर इस बार भी उम्मीदवार उतारेंगे। कांग्रेस की इस मांग से गठबंधन में पेरशानी बढ़ गई है। क्योंकि, इस बार गठबंधन में एक नया राजनीतिक दल आइएसएफ शामिल है और पहले से ही सीटों को लेकर तकरार चल रहा है। ऐसे में यह नई सीटों को लेकर भी पेंच फंसता दिख रहा है। कांग्रेस की इस मांग वामपंथी का एक खेमा क्षुब्ध हो गया है। हालांकि राज्य नेतृत्व द्वारा समाधान निकाले जाने की भी उम्मीद जताई है।

कोलकाता से आगामी एक दो दिनों में संयुक्त मोर्चा की ओर से उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। सूची घोषित नहीं होने से कार्यकर्ता प्रचार नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि कौन गठबंधन और किस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ेगा। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने कृष्णगंज, कालीगंज, कृष्णानगर उत्तर, शांतिपुर और रानाघाट उत्तर पश्चिम में अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनमें कालीगंज, शांतिपुर, रानाघाट उत्तर पश्चिम सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। हालांकि बाद में वे सभी विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। कृष्णानगर उत्तर विधानसभा सीट पर कांग्रेस दूसरे स्थान रही थी। वहीं कृष्णगंज में कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे स्थान पर थे।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार जिला नेतृत्व ने पहले ही प्रदेश नेतृत्व को सूचित कर दिया है कि वह पांच सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है। कृष्णगंज विधानसभा को छोड़कर, शेष चार सीटों में परिवर्तन स्वीकार नहीं किया जाएगा। माकपा के जिला सचिव सुमित दे ने कहा कि पिछली बार की तरह ही सीटों की मांग करने का कोई मतलब नहीं है। गठबंधन के सहयोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है। हमें भाजपा के खिलाफ सभी ताकतों को देखना चाहिए और तृणमूल कांग्रेस को महागठबंधन में जगह दी जानी चाहिए। हालांकि कांग्रेस अपने अड़ियल रुख पर कायम है जिसके वजह से समस्या बरकरार है।

उल्लेखनीय है कि इसी तरह से लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस के अड़ियल रुख के कारण माकपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो सका था। (एजेंसी, हि.स.)

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