नई दिल्ली। पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ (Former Judge Kurian Joseph) की ओर से सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट देने के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बेशकीमती संपत्तियों (prized possessions), जय महल होटल और रामबाग पैलेस होटल को लेकर जयपुर शाही परिवार (jaipur royal family) के बीच की लंबी कानूनी लड़ाई को बंद कर दिया है। मध्यस्थता द्वारा इस विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान कर दिया गया है।
लॉ फर्म प्राइम लीगल इंडिया एलएलपी के एडवोकेट अभिषेक कुमार राव ने कहा कि डीड के अनुसार, महारानी गायत्री देवी के पोते महाराज देवराज और राजकुमारी ललिता को अपने सौतेले चाचाओं से मैत्रीपूर्ण समझौते के तहत जय महल पैलेस होटल वापस मिल जाएगी। राव ने कहा कि वह अदालत में महाराज देवराज और राजकुमारी ललिता के वकील रहे हैं।
न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की एक पीठ ने पक्षों की दलीलें नोट कीं कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, जिन्हें 7 सितंबर 2021 को मध्यस्थता के लिए नियुक्त किया गया था, उन्होंने सफलतापूर्वक मध्यस्थता कर दी है। उन्होंने सभी पक्षों के हस्ताक्षर वाला मूल समझौता ज्ञापन शीर्ष अदालत को भेज दिया, जिसे अदालत ने 15 दिसंबर को रिकॉर्ड पर लिया।
अभिषेक कुमार राव ने कहा, महाराज जय सिंह और महाराज विजित सिंह 15 दिसंबर 2021 को उन सभी के बीच हुए एक सौहार्दपूर्ण समझौते के तहत हमारे मुवक्किलों (महाराज देवराज सिंह और राजकुमारी ललिता कुमारी) को जय महल पैलेस सौंपने पर सहमत हो गए हैं। साथ ही महाराज देवराज सिंह और राजकुमारी ललिता कुमारी भी अन्य संपत्तियों में से अपना कुछ अधिकार छोड़ देंगी।
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