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चिकित्सकों ने 40 वर्षीय महिला की सर्जरी कर सिर से निकाला 12 सेमी का ब्रेन ट्यूमर


जयपुर । चिकित्सकों (Doctors) ने 40 वर्षीय महिला की सर्जरी कर (Performed Surgery on 40 year old Woman) सिर से 12 सेमी का ब्रेन ट्यूमर (12cm Brain Tumor from Her Head) निकाला (Removed) । भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के न्यूरो ऑन्कोलोजिस्ट डॉ नितिन द्विवेदी एंड टीम की ओर से की गई यह सर्जरी, गांठ के आकार और स्थान के कारण काफी चुनौतीपूर्ण थी । तीन घंटे चली इस सर्जरी के बाद रोगी पूर्ण रूप से स्वस्थ है और ऑपरेशन के दूसरे दिन से रोगी चलने में सक्षम हो पाया है।


डॉ द्विवेदी ने कहा कि विजयनगर निवासी भगवती बेहोशी की हालत में हॉस्पिटल पहुंची। घर के सदस्यों ने बताया कि सर में दर्द, उल्टी और चक्कर आने की परेशानी कुछ दिनों से चल रही थी। ऐसे में महिला की ब्रेन एमआरआई करवाई गई जिसमें ट्यूमर पाया गया। जिसमें दिखा कि ट्यूमर ब्रेन के अगले हिस्से में है और नाक एवं ब्रेन को जोडने वाली हड्डी में तक जा रहा है। ऐसे में तुंरत ऑपरेषन करने का निर्णय लेकर सर्जरी कर ट्यूमर को हटाया गया।

सिर के अंदर इतने बड़े ट्यूमर को हटाते हुए आस-पास की नसों को सुरक्षित रखना इस सर्जरी में सबसे बड़ी चुनौती थी। लक्षणों को ना करें अनदेखा, उपचार के लिए हो जागरूकः तेज या लगातार रहने वाला सिरदर्द, चलने में परेशानी, तालमेल में समस्या, मांसपेशियों में कमज़ोरी, शरीर के एक तरफ़ कमज़ोरी, हाथों और पैरों की कमज़ोरी, चक्कर आना, उल्टी या मतली आना, चुभन महसूस करना या स्पर्श कम महसूस होना, ठीक से बोलने और समझने में परेशानी या सुध-बुध खोना, दौरे पड़ना, धुंधला दिखना, बेहोषी आना, बोलने में कठिनाई या व्यक्तित्व में बदलाव। यह सभी लक्षण ब्रेन ट्यूमर से जुडे है। इन लक्षणों को अनदेखा करना गलत है। इन लक्षणों के होने पर डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करना चाहिए।

डॉ नितिन द्विवेदी ने बताया कि लोग ब्रेन ट्यूमर के नाम से डरते हैं, लेकिन यह ट्यूमर दूसरे ट्यूमर से बिल्कुल अलग होते है। जांच में 66 फीसदी ट्यूमर सामान्य ट्यूमर होते है अतः वह कैंसर के नहीं होते है। 15 साल से कम उम्र के रोगियों का सर्वाइवल रेट 75 फीसदी होता है। वहीं 15 से 39 उम्र के रोगियों को में 72 फीसदी और 40 से अधिक उम्र के रोगियों में 21 फीसदी सर्वाइवल रेट होता है। इसलिए ब्रेन ट्यूमर की पहचान होने पर उपचार से घबराना नहीं चाहिए। समय पर उपचार की शुरुआत रोगी को पूर्णतः ठीक करने में मददगार साबित होता है।

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